गिरफ्तारी पर राजनीति
जी-20 शिखर सम्मेलन के समापन के धूमधमाके के दरम्यान आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू को गिरफ्तार कर लिया गया।
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स्किल डवलपमेंट स्कैम में हुए 371 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप में पूर्व में सीआईडी द्वारा गैर-जमानती वारंट जारी किया था। यह एफआईआर 2021 में सीबीआई ने दर्ज की थी। इसमें तेलुगू देशम पार्टी के अध्यक्ष नायडू का नाम नहीं था। मगर इसी साल मार्च में सीआईडी ने घोटाले की जांच शुरू की। धोखाधड़ी व आपराधिक साजिश रचने के आरोपों के आधार पर उनको गिरफ्तार कर लिया गया।
2016 में जब नायडू प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तो बेरोजगार युवाओं को स्किल ट्रेनिंग के लिए 3,300 करोड़ के प्रोजक्ट की शुरुआत की थी। सीआईडी के अनुसार राज्य कैबिनेट से इसको मंजूरी नहीं थी। उलटे विभिन्न शेल यानी फर्जी कंपनियों को सरकार द्वारा 371 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। अधिकारियों के अनुसार नायडू लगातार कह रहे हैं कि उन्हें कई बातें याद नहीं हैं। उनके समर्थकों ने गिरफ्तारी का विरोध करते हुए जगह-जगह प्रदर्शन किए और पुलिस से तीखी नोंक-झोंक भी हुई।
जनसेवा पार्टी के अध्यक्ष व एक्टर पवन कल्याण के प्रदर्शन करने पर पुलिस ने उन्हें एहतियातन हिरासत में लिया। प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी पहले कह चुके हैंकि नायडू ने गिरोह बनाया और करोड़ों की लूट की। राजनीतिक विश्लेषक इस गिरफ्तारी को 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव से जोड़ रहे हैं। एनडीए के संस्थापकों में शामिल रहे नायडू मनमुटावों के चलते अलग हो गए थे। पिछले दिनों उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में अपनी भूमिका को लेकर कहा था कि मेरी प्राथमिकता केवल आंध्र प्रदेश है और वक्त आने पर सही फैसला लूंगा। हालांकि राजनीति के अखाड़े में इस तरह की उठा-पटक चलती रहती है।
पहले भी विभिन्न राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। इनमें से कइयों को तो भ्रष्टाचार सिद्ध होने और जेल जाने के बावजूद उन्हें जनता का खूब समर्थन मिला। इसलिए यह मान लेना कि नायडू या उनके दल को इस सबसे खास नुकसान होने वाला है, जल्दबाजी होगा। भ्रष्टाचार की जड़ों में बड़े और जिम्मेदार लोगों के शामिल होने के स्पष्ट संकेत मिलते रहते हैं। तमाम धींगामुश्ती के बावजूद इसे जड़ से उखाड़ फेंकना नामुमकिन नजर आता है।
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