बचत है जरूरी

Last Updated 26 Aug 2023 01:30:26 PM IST

भारतीयों में सेवानिवृत्ति के बाद की जिंदगी के लिए बचत की भावना में तेजी आती जा रही है। हालांकि भारत आज भी सेवानिवृत्ति कोष के मामले में पूर्ण रूप से संरक्षित नहीं है।


बचत है जरूरी

44 फीसद लोगों के पास अब अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी है। इनमें से 58 फीसद ने बीते तीन सालों के दरम्यान स्वास्थ्य जांच भी कवाई। मैक्स लाइफ इंश्योरेंस ने आंकड़ा विश्लेषक कंपनी कांतार के साथ मिल कर 28 शहरों के दो हजार से अधिक लोगों में यह अध्ययन किया। सेवानिवृत्ति सूचकांक में अब हमारा स्थान 44 से 47 पर पहुंच गया। सव्रेक्षण में स्वास्थ्य, वित्त व भावनाओं को लेकर दिए गए जवाब के आधार पर यह आकलन किया गया।

नब्बे फीसद लोगों को लगता है कि उन्होंने बचत शुरू करने में देरी कर दी, जबकि 40 फीसद ने माना कि उनकी बचत योजना सेवानिवृत्ति के दस साल बाद तक चलेगी। हालांकि अपने यहां अभी भी बहुत कम लोग सेहतमंद रहने के लिए शारीरिक गतिविधियों पर ध्यान देते हैं। देश में बड़ा वर्ग शिक्षित हो रहा है, उनमें स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता नजर आ रही है। देश में तेजी से बढ़ती मध्यवर्ग की आबादी भी इन सुविधाओं के प्रति खासी जागरूक होती जा रही है।

खासकर शहरी व नौकरीयाफ्ता वर्ग इनकम टैक्स में मिलने वाली कटौती को लेकर बीमा कराने में अपनी भलाई देखता है। बढ़ती उम्र में होने वाली सेहत संबंधी आम समस्याओं के प्रति सतर्क रहने का प्रचलन होता जा रहा है। सिर्फ नौकरीयाफ्ता ही नहीं बल्कि छोटे रोजगार करने वालों में भी बीमा का लाभ लेने की जिज्ञासा जाग रही है। जिन वयस्क/अधेड़ में अभी यह जागरूकता नहीं आई है, नई पीढ़ी उन्हें इसके लाभों के प्रति प्रेरित करने में अहम भूमिका निभा रही है।

बल्कि ढेरों नई, बड़ी और मल्टीनेशनल कंपनियां अपने कर्मचारियों को नौकरी के पहले दिन से ही इंश्योरेंस दिलाने की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाती हैं। औसत उम्र जिस तरह बढ़ रही है, उसी तर्ज पर दवाओं की बढ़ती कीमतें, प्राइवेट अस्पतालों के भारी-भरकम बिल व डॉक्टरों की फीस चुकाने की व्यवस्था करना भी जरूरी है। अभी भी बड़ा वर्ग किसी भी तरह के बीमा को लेकर सशंकित है। जिन्हें थोड़े से अतिरिक्त प्रयासों से राजी करके हेल्थ इंश्योरेंस के प्रति लोगों को और भी प्रोत्साहित किया जा सकता है।



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