Manipur : लोगों का दिल जीतना होगा
भारत का पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर (Manipur) करीब चालीस दिनों से जातीय हिंसा (ethnic violence in Manipur) की आग में जल रहा है।
![]() Manipur : लोगों का दिल जीतना होगा (फाइल फोटो) |
हालांकि राज्य में सेना और अर्धसैनिक बलों की तैनाती के बाद हिंसक घटनाअें में थोड़ी कमी जरूर आई है, लेकिन स्थायी शांति की राह में रुकावटें बनी हुई हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पहले हिंसा की न्यायिक जांच की घोषणा करते हुए कहा कि दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा। इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से शांति समिति का गठन किया गया लेकिन कुकी-जोमी समुदाय ने इस समिति को लेकर अपना असंतोष जाहिर कर दिया है।
आज दोपहर दो बजे राजभवन में इस समिति की पहली बैठक होनी है, लेकिन कुकी और अन्य समुदायों के रुख से ऐसा लगता है कि वे समिति की बैठक में शामिल नहीं होंगे। इससे शांति बहाली की प्रक्रिया को धक्का लग सकता है। शांति बहाली के प्रयासों के तहत केंद्र सरकार द्वारा गठित इस शांति समिति में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को शामिल किए जाने से कुकी समुदाय नाराज है। राज्य में कुकी और नागा समुदाय के लोगों का विश्वास अर्जित करने में मुख्यमंत्री विफल रहे हैं।
उनका मानना है कि मुख्यमंत्री का रुख निरपेक्ष नहीं है। समिति में उनको शामिल करने से पहले उनसे सहमति नहीं ली गई। कुकी समुदाय को यह समझने की जरूरत है कि मुख्यमंत्री राज्य का प्रशासनिक प्रमुख होता है। उसका अनुपस्थिति में किसी भी तरह का नीतिगत फैसला लिया ही नहीं जा सकता। इसलिए राज्य के लोगों के व्यापक हितों को देखते हुए इसे मुद्दा बनाना दूरदर्शी कदम नहीं होगा।
राज्यपाल की अध्यक्षता में गठित शांति समिति में समाज के सभी वगरे के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है। लेकिन कुकी समुदाय का मानना है कि राज्य में हिंसा रोकने में राज्य सरकार पूरी तरह विफल रही है, लिहाजा इस समिति में केंद्र सरकार का भी प्रतिनिधि होना चाहिए। उनकी इस बात का समर्थन किया जा सकता है।
दरअसल, राज्य के बहुसंख्यक मैतई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने से कुकी और नागा समुदाय भड़के हैं। उनका लग रहा है कि हमारा हक छीना जा रहा है। उन्हें राज्य सरकार से न्याय की उम्मीद नहीं है। इसलिए केंद्र सरकार की यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि इन समुदायों को समझा-बुझाकर इनका विश्वास अर्जित किया जाए। केवल सुरक्षा बलों की तैनाती से राज्य में शांति बहाल नहीं हो सकती।
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