WTC Final में हार की वजह आईपीएल
भातीय टीम एक बार फिर आईसीसी ट्रॉफी (ICC Trophy) जीतने में असफल हो गई। भारत के 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी जीतने के बाद से उसकी यह आठवीं आईसीसी चैंपियनशिप थी, जिसमें उसे खिताब से महरूम रहना पड़ा है।
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इन चैंपियनशिपों में से चार में तो वह फाइनल तक पहुंचकर भी खिताबी सफलता प्राप्त नहीं कर सका है। इस बार के फ्लॉप शो में तो तैयारियों की कमी ने अहम भूमिका निभाई। BCCI हो या क्रिकेटर सभी ने तैयारियों पर IPL में कमाई करने को अहमियत दी, जिसका परिणाम फाइनल में ऑस्ट्रेलिया (Australia) के हाथों बुरी तरह से हारने के रूप में सामने हैं।
हर कोई जानता है कि सबसे छोटे प्रारूप से टेस्ट प्रारूप में लौटने के लिए खिलाड़ी को कुछ नहीं तो चार-पांच हफ्ते तो लग ही जाते हैं। पर आईपीएल की वजह से भारतीय खिलाड़ियों को इस महत्त्वपूर्ण चैंपियनशिप की तैयारियों के लिए पर्याप्त समय ही नहीं मिल सका। बेहतर होता कि इस चैंपियनशिप के फाइनल में खेलने वाले खिलाड़ियों को आईपीएल का आधा चरण पूरा होने के बाद इस लीग से हटाकर वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल की तैयारियों में लगा दिया जाता।
तैयारियों की कमी का ही परिणाम था कि पहली पारी में शुभमन गिल (Shubhman Gill) और चेतेश्वर पुजारा (Cheteshwar Pujara) ऑफ स्टंप पूरी तरह से कवर किए बगैर ही गेंद छोड़ने पर बोल्ड हो गए। खास बात यह है कि टेस्ट क्रिकेट का यह मूल मंत्र माना जाता है कि बल्लेबाज को यह जानना बेहद जरूरी होता है कि उसका ऑफ स्टंप कहां है। बल्लेबाजों को यह भी समझने की जरूरत है कि किन परिस्थितियों में किस शॉट खेलने की जरूरत है।
भारतीय कप्तान रोहित शर्मा (Rohit Sharma) के दूसरी पारी में लय में खेलने पर नाथन लियोन (Natan Leone) पर जबर्दस्ती रिवर्स स्वीप खेलने के प्रयास में एलबीडब्ल्यू होना और पुजारा का सिर से ऊपर जाती गेंद पर अपर कट लगाने का प्रयास करना ऐसी गलतियां हैं, जिसने भारतीय अभियान को पटरी से उतारने में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा गेंदबाजों के आईपीएल से सीधे टेस्ट में खेलने से उन्हें शुरुआत में गेंद का सही जगह टप्पा डालने में मुश्किल हुई।
यही नहीं टी-20 लीग में दो महीने तक चार ओवर डालने की आदत बनने के बाद लंबे स्पैल करने में भी दिक्कत हुई। इस सबके अलावा भारत को फाइनल तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले आर. Ashwin को फाइनल में नहीं खिलाना अचरज भरा तो रहा ही साथ ही भारत को तमाम मौकों पर उनकी कमी खली। समय आ गया है कि आईसीसी ट्रॉफी जीतने की जिम्मेदारी युवा कंधों को सौंपी जाए।
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