विरासत का संरक्षण
लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विविधता को भारतीय मूल्यों का आधार बताया। उन्होंने कहा, हमें अपनी विरासत को संरक्षित करने के साथ ही विकास के नये आयाम स्थापित करने की भी जरूरत है।
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बिरला संसद भवन में संसदीय लोकतंत्र शोध व प्रशिक्षण संस्थान द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के सदस्यों को संबोधित कर रहे थे। बिरला ने प्रकृति, परंपरा व संस्कृति के ज्ञान की जनजातीय विरासत पर विचार रखे। उनका यह कहना कि प्राचीनकाल से ही वनवासियों ने प्रकृति के साथ तालमेल से रहने का अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है, आधुनिक दुनिया को उनसे बहुत कुछ सीखना है, अपने समाज को याद दिलाने के लिए कोई नई बात नहीं है।
हालांकि शहरी जीवन में लोग आधुनिक संसाधनों और सुविधाओं के इतने आदी हो चुके हैं कि उन्हें प्राकृतिक चीजों व माहौल का अहसास ही नहीं रहा। यह बात शहरों व महानगरों में रहने वालों पर ही नहीं लागू होती, बल्कि आदिवासी व पिछड़े इलाकों के वाशिंदों में भी इन चीजों के प्रति आकषर्ण बढ़ता जा रहा है। अपने वक्तव्य में आदिवासियों की कला और शिल्प की मांग सारी दुनिया में होने की भी बात बिरला ने की। जैसा कि हम देखते हैं, विश्व बाजार में हमारी कला व शिल्प के प्रति गजब का आकषर्ण है।
पर्यटकों को ये खूब आकषिर्त करते हैं। अपने संबोधन में उन्होंने यह भी कहा कि देश के विभिन्न संस्थानों, निकायों व शासन को इन्हें सुदृढ़ करने में योगदान करना चाहिए। सच है कि सरकारों ने अपने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से इन्हें बड़ा मंच देने के प्रयास किए हैं मगर अभी भी हमारी धरोहरों, कलाओं व लोककृतियों को संभालने की आवश्यकता है। स्थानीय लोग, जनजातियां, आदिवासियों ने पीढ़ियों से जो विरासतें संभाल रखी हैं, उन्हें दुनिया के समक्ष लाने के प्रयास जरूरी हैं।
अभी भी इन लोगों के पास इतना कुछ है, जिसे विश्व पटल पर लाने की जरूरत है। कलाप्रेमियों का बड़ा वर्ग इस विरासत के प्रति विशेष लगाव रखता है। हालांकि अपने यहां सरकारी कार्यक्रमों की फेहरिस्त तो बनती जाती है, मगर असल जगह तक पहुंचते-पहुंचते दम तोड़ देती है। लालफीताशाही, सुस्ती, लापरवाही व अपनी जिम्मेदारियों के प्रति अरुचि रखने वालों के लिए यह सिर्फ फाइलों में कागजों का अंबार लगाने व खानापूर्ति का काम रह जाता है। जरूरी है अपनी धरोहरों, कलाओं, संस्कृति व परंपराओं के प्रति लगाव व रुचि हो ताकि हम उनके संरक्षण के साथ गर्व भी कर सकें।
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