सुप्रिया सुले को नई जिम्मेदारी

Last Updated 12 Jun 2023 01:30:57 PM IST

शरद पवार (Sharad Pawar) ने आखिरकार, अपने उत्तराधिकारी के चुनाव की दिशा में निर्णायक कदम उठा ही लिया है।


सुप्रिया सुले को नई जिम्मेदारी

यूं तो पवार की पुत्री और लोक सभा सदस्य सुप्रिया सुले तथा राज्य सभा सदस्य प्रफुल्ल पटेल, दोनों को राकांपा कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है फिर भी, पलड़ा सुप्रिया सुले का ही भारी रहने जा रहा है, जिन्हें लोक सभा में पार्टी के नेता के साथ ही महाराष्ट्र की भी जिम्मेदारी सोंपी गई है। बेशक, वास्तविक नेतृत्व का हस्तांतरण इसके बाद भी शायद बहुत आसान नहीं हो। शरद पवार के भतीजे अजीत पवार, जो महाराष्ट्र विधानसभा में पार्टी के नेता हैं, जाहिर है कि इस निर्णय से खुश नहीं होंगे। लेकिन, शरद पवार ने एक साक्षात्कार में यह कहकर, एक नंबर पर तो नहीं, फिर भी शीर्ष नेतृत्व में उनके लिए जगह रहने का संकेत दे दिया है।

अजीत पवार के पास पहले ही कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस के लिए और वास्तव में विपक्षी महाविकास अघाड़ी के लिए भी, आदर्श स्थिति तो यही होगी कि शीर्ष पर पवार के मार्गदर्शन में, यह तिकड़ी मिलकर काम करे। लेकिन, हैरानी की बात नहीं होगी कि उत्तर प्रदेश के बाद इस दूसरे सबसे ज्यादा लोक सभा सीटों वाले राज्य को अपने पाले में बनाए रखने की कोशिश में सत्ताधारी दल के चाणक्य, अजीत पवार को किसी न किसी रूप में अपना मोहरा बनाने की कोशिश करें। ऐसा लगता है कि चतुर मराठा नेता ने ऐसी किसी संभावना के सच होने की सूरत में, विकास अघाड़ी का नुकसान सीमित करने का, पहले से ही इंतजाम कर दिया है।

शरद पवार ने एक प्रकार से दूसरी बार अपने अति-सत्ताकांक्षी भतीजे के नियंतण्रमें जाने से वास्तव में अपनी क्षेत्रीय पार्टी को बचाया है। दो साल पहले भी उन्होंने अपनी पार्टी को भाजपा के साथ गठजोड़ सरकार में घसीटने की अजीत पवार की कोशिश को विफल कर के ऐसा ही किया था। इसके चलते अचानक सुबह तड़के शपथ ग्रहण के बाद भी देवेंद्र फडणवीस की सरकार दो दिन भी नहीं चल पाई थी।

बहरहाल, सत्ता के पक्ष के चाणक्य बाद में, शिव सेना में ही सेंध मारकर वह हासिल करने में कामयाब हो गए, जो पहली कोशिश में राष्ट्रवादी कांग्रेस के रास्ते नहीं कर पाए थे। इस सारी राजनीतिक उठा-पटक पर महाराष्ट्र की जनता की क्या प्रतिक्रिया होगी, यह तो अगले चुनाव में ही पता चल सकेगा लेकिन अब तक सारे आसार तो सत्ता पक्ष के लिए मुकाबला आसान नहीं होने के ही हैं। इसीलिए राष्ट्रवादी पार्टी के सांगठनिक फैसले के नतीजे महाराष्ट्र से दूर तक जा सकते हैं। राकांपा ने आने वाले चुनाव की तैयारी के लिए एक तरह से कदम बढ़ा दिया है।



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