कर्नाटक उच्च न्यायालय का उचित फैसला

Last Updated 12 Jun 2023 01:25:14 PM IST

सिर्फ एक दिन की शादी में पति पर दुष्कर्म व ससुरालियों के खिलाफ उत्पीड़न की शिकायत करने वाली महिला की अर्जी पर अदालत ने अंतरिम रोक लगा दी।


कर्नाटक उच्च न्यायालय

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इसको कानूनी प्रक्रिया के दुरुपयोग का श्रेष्ठ उदाहरण बताया। मामले में पति व उसके परिवार के खिलाफ किसी भी तरह की आपराधिक कार्यवाही पर भी रोक लगा दी। शिकायतकर्ता स्त्री व उसका पति बेंगलूरू की कंपनी में साथ ही काम करते थे।

चार साल के प्रेम प्रसंग के बाद इसी साल 23 जनवरी को मंदिर में शादी की। शादी का पंजीकरण भी कराया। उसी दिन पता चला कि किसी अन्य पुरुष के साथ महिला का प्रेम संबंध है। वह लगातार किसी से फोन पर बातें करती रहती थीं। शादी के अगले दिन इसी बात को लेकर दोनों में बहस हुई। 29 जनवरी को वह झगड़ कर ससुराल से चली गई। 32 दिनों यानी 1 मार्च तक दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई। फिर उसने पुलिस में पति व ससुरालियों की शिकायत दर्ज करवा दी जिसमें दावा किया कि शादी वाले दिन क्या-क्या हुआ उसे कुछ भी याद नहीं। यह भी कि उसे कोई जहरीला पदार्थ दिया गया था। अदालत का यह फैसला निश्चित रूप से स्त्री विरोधी नहीं है।

जिस पुरुष के साथ वर्षो से प्रेम संबंध थे, उसके साथ विवाह के बाद चंद दिन साथ बिताने को दुष्कर्म का नाम देना सोची-समझी रणनीति प्रतीत होती है। उस पर पुलिस तक जाने में भी एक माह का वक्त लगाना मामले को संदिग्ध करते हैं। अदालत ने कड़ी टिप्पणी करते हुए इसे कानून का दुरुपयोग ठहराया है। प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है, शिकायतकर्ता को विवाह का निर्णय लेने से पूर्व ही अपनी स्थिति स्पष्ट कर लेनी चाहिए थी। हो न हो, उसकी नीयत में ही खोट रही होगी।

महिला अधिकार कानूनों का ऐसे ही दुरुपयोग करने वाले मामलों का खुलासा भी हुआ है। देखने में आता है, आपसी मतभेद, अनबन, झगड़ों व संबंध तोड़ने पर उतारू महिलाओं द्वारा पति व उसके परिवार पर अनाप-शनाप धाराएं जबरन लगा दी जाती हैं।

स्वयं वधू, वधू पक्ष व उनके वकीलों द्वारा कई दफा यह सब सबक सिखाने या बदला लेने के भाव से किया जाता है जबकि इस तरह के जबरन बनाए गए मामलों का खमियाजा उन महिलाओं को भुगतना पड़ता है, जो असल में पीड़ित हैं पर उनमें दांव-पेंच या छल करने का भाव नहीं है। इस तरह के मामले में शिकायतकर्ता पर उत्पीड़न का आरोप भी तय किया जाना चाहिए ताकि दूसरे इससे सीख ले सकें।



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