Odisha train accident : पटरी पर बिखरी जिंदगी

Last Updated 05 Jun 2023 01:44:27 PM IST

ओडिशा (Odisha) के बालासोर जिले (Balasore distt) में शुक्रवार शाम कोरोमंडल एक्सप्रेस (Coromandel Express)और बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन (Bangalore-Howrah Express Train) के पटरी से उतरने और एक मालगाड़ी (Goods train) से टकराने से हुए भीषण रेल हादसे में मरने वालों की संख्या शनिवार को 288 हो गई।


पटरी पर बिखरी जिंदगी

इस हादसे में 1,175 यात्री घायल हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शनिवार को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnav) और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) के साथ घटनास्थल पर स्थिति का जायजा लिया। घटनास्थल पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जांच जारी है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। इससे पहले नई दिल्ली में प्रधानमंत्री ने स्थिति की समीक्षा बैठक की। बैठक में गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) और सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। भारतीय रेलवे ने हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।

हालाकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि हादसा किन कारणों से हुआ लेकिन इसके पीछे तीन धारणाओं की चर्चा है-मानवीय चूक, तकनीकी गड़बड़ी या कोई गहरी साजिश। पूर्व रेल मंत्री एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने हादसे को ‘सदी का सबसे बड़ा रेल हादसा’ बताया है। हालांकि भारतीय रेलवे के इतिहास का यह तीसरा सबसे बड़ा हादसा है। यह बात पक्के तौर पर कही जा सकती है कि कवच सिस्टम (ऑटोमेटिक ब्रेकिंग सिस्टम) होता तो बालासोर हादसे को रोका जा सकता था। कवच होता तो दूरंतो का इंजन 400 मीटर पहले ही रुक जाता।

गौरतलब है कि साल भर पहले 4 मई, 2022 को सिकंदराबाद जोन में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रेल हादसा रोकने के लिए इंजनों को सुरक्षा का कवच देने की घोषणा की थी। यह डिवाइस इंजन और पटरियों में लगा होता है। इसके प्रभाव वाले क्षेत्र में जैसे ही दो ट्रेन या इंजन आते हैं, सिस्टम ऑन होकर इंजन में ब्रेक लगाना शुरू कर देता है और ट्रेन रुक जाती है।

रेलवे बोर्ड इस संकेत की वजह से हादसों पर नियंत्रण का दावा करता है, लेकिन अभी यह सिस्टम देश भर में चालू नहीं हो सका है। देश में 13,215 रेल इंजन हैं, इनमें से सिर्फ 65 में ही कवच सिस्टम अभी तक लगाया जा सका है। रेलवे के 19 जोन हैं, जिनमें से 18 जोन ऐसे हैं, जिनमें एक भी कवच सिस्टम नहीं है यानी कहा जा सकता है कि सुरक्षा के लिहाज से अपेक्षित संजीदगी नहीं है।

कहना यह कि ‘मिशन रफ्तार’, ‘बुलट ट्रेन’ के सपने को पूरा करने की बजाय आम जन की आवाजाही के बनिस्बत सस्ते साधन को सुरक्षा के लिहाज से चाक-चौबंद किया जाना चाहिए। कवच जैसे उपायों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए।



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