सुप्रीम कोर्ट ने दी ईडी को नसीहत, 'डर का माहौल' न बनाएं
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) को नसीहत दी कि ‘डर का माहौल’ न बनाए।
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शीर्ष अदालत ने छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में कथित तौर पर 2000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले (liquor scam) से जुड़े धनशोधन मामले (money laundering cases) में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) को फंसाने की कोशिश संबंधी राज्य सरकार के आरोप के जवाब में यह टिप्पणी की।
गौरतलब है कि धनशोधन का यह मामला दिल्ली की एक अदालत में 2022 में दाखिल आयकर विभाग (IT) के एक आरोपपत्र पर आधारित है।
ईडी ने अदालत में कहा था कि एक सिंडिकेट द्वारा छत्तीसगढ़ में शराब के व्यापार में बड़ा घोटाला किया गया। एजेंसी ने आरोप लगाया कि इस सिंडिकेट में राज्य सरकार के उच्चस्तरीय अधिकारी, निजी व्यक्ति और राजनीति से जुड़े लोग शामिल थे, जिन्होंने 2019-22 के बीच दो हजार करोड़ रुपये से अधिक का भ्रष्टाचार किया।
जस्टिस एसके कौल और जस्टिस ए. अमानुल्ला (Justice SK Kaul and Justice A. amanullah) की पीठ के समक्ष छत्तीसगढ़ सरकार ने आरोप लगाया कि जांच एजेंसी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को फंसाने की कोशिश कर रही है, और राज्य के आबकारी विभाग के अधिकारियों और उनके परिजनों को गिरफ्तार करने की धमकी दे रही है। उनसे कोरे या टाइप किए गए कागजों पर हस्ताक्षर लेने की कोशिश कर रही है।
राज्य सरकार के वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibol) ने अदालत को बताया कि जांच एजेंसी के ‘बुरे बर्ताव’ से परेशान अधिकारियों ने विभाग में काम नहीं करने की बात कही है। यकीनन यह हैरान करने वाली बात है कि सरकारी मुलाजिम इस हद तक परेशान हो जाएं कि दायित्व का निवर्हन करने से भी पीछे हटने लगें।
राज्य में जल्द ही विधानसभा के चुनाव होने हैं, और जैसा कि ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग जैसी एजेंसियों के सरकार द्वारा दुरुपयोग संबंधी आरोप लगते रहे हैं, उनसे शंका होती है कि ईडी दबाव में काम कर रही है। यहां मंतव्य ईडी की कार्रवाई पर टिप्पणी करने का नहीं है, लेकिन चुनाव के ऐन पहले इस प्रकार से अधिकारियों पर दबाव डालना शंका तो पैदा करता ही है।
अदालत ने भी कहा है कि जिस तरीके से जांच एजेंसी बर्ताव करती है, उससे एक जायज वजह भी संदिग्ध हो जाती है। तब तो और भी जब ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि सरकार केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल गैर-भाजपा सरकार को डराने-धमकाने और परेशान करने तथा उनके सामान्य कामकाज को बाधित करने में करती है। इसलिए जरूरी है कि जांच एजेंसी अपनी विसनीयता बनाए रखने के प्रति सचेत रहे।
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