पश्चिम बंगाल में फिल्म ‘The Kerala Story’ पर अब बैन नहीं

Last Updated 20 May 2023 01:27:24 PM IST

पश्चिम बंगाल में फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ (The Kerala Story) पर लगी पाबंदी को सर्वोच्च अदालत ने हटा दिया है। साथ ही बंगाल सरकार से दर्शकों की सुरक्षा तय करने का भी निर्देश दिया है।


द केरल स्टोरी

अदालत ने कहा आप जनता की असहिष्णुता को अहमियत देकर अगर ऐसे करेंगे तो हर फिल्म का यही हाल होगा। राज्य का कर्तव्य है, कानून-व्यवस्था कायम रखे। फिल्म को सेंसर बोर्ड से प्रमाण पत्र देने के खिलाफ दी गई याचिकाओं पर अदालत सुनवाई से पहले फिल्म देखेगी। सबसे बड़ी अदालत ने बत्तीस हजार महिलाओं के धर्म परिवर्तन करने संबंधी दृश्य पर डिस्क्लेमर लगाने को भी कहा।

कोलकाता व मद्रास उच्च न्यायालय ने पहले ही फिल्म पर लगी पाबंदी पर दखल देने से इनकार कर दिया था। तमिलनाडु सरकार ने फिल्म स्क्रीनिंग को रोकने संबंधी कोई लिखित आदेश ना देने की बात कह पल्ला झाड़ लिया। हालांकि राज्य में कई मुस्लिम संगठनों ने विभिन्न जगहों पर फिल्म के खिलाफ प्रदर्शन भी किए। डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा की कमाई करने वाली यह फिल्म अपने ट्रेलर के रिलीज के वक्त से ही विवादों में है।

सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ ट्रोलिंग चालू होते ही निर्माता-निर्देशक द्वारा स्पष्ट कर दिया गया था कि यह सिर्फ सच्चाई से प्रेरित स्टोरी है। सच्ची घटना नहीं है। फिर भी विरोधियों ने आरोप लगाया कि यह एजेंडा है, धर्म विशेष को बदनाम करने का। इस बात से इनकार भी नहीं किया जा सकता। बीते कुछ सालों से खास तरह का एजेंडा थोपने वाली शक्तियों की बाढ़ सी आ गई है। इसलिए ये तिल का ताड़ बनाने में सकुचाती नहीं।

हकीकत तो यह भी है कि बहुत सी बुनियादी समस्याओं पर अपने यहां कभी खुलकर बात ही नहीं हुई। आईएस भोले-भाले युवाओं को बरगला कर, लालच देकर या जबरन आतंकी बनाती है। यह स्वीकारने में हिचक नहीं होनी चाहिए कि प्रचार और चर्चा पाने के लोभ में फिल्मकार विषय को बढ़ा-चढ़ा कर परोसते हैं।

फिल्में मनोरंजन का जरिया तो हैं ही, उनसे पैसा कमाना मुख्य उद्देश्य है। फिल्मकारों को अपनी नैतिक/सामाजिक जिम्मेदारी का अहसास होना चाहिए। राज्य सरकारों, सेंसर बोर्ड को भी जनता की भावनाओं को आहत होने से बचाना चाहिए। हर फिल्म के लिए अदालत के दरवाजे खटकाने की आदत भली नहीं कही जा सकती।



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