कर्नाटक की हार से BJP को लेना होगा सबक

Last Updated 15 May 2023 01:36:11 PM IST

अगले साल होने वाले लोक सभा चुनाव से पहले की महत्त्वपूर्ण चुनावी लड़ाई में कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ कर्नाटक में बड़ी जीत दर्ज करते हुए 224 सदस्यीय विधानसभा में 136 सीट जीतकर इतिहास रच दिया है।


कर्नाटक की हार से BJP को लेना होगा सबक

भाजपा 65 सीटों पर सिमट कर सत्ता की दौड़ से बाहर हो गई। देवेगौड़ा परिवार की अगुवाई वाली जनता दल (एस) को वोट और सीट के हिसाब से बड़ा नुकसान हुआ और उसे 18 सीटों पर संतोष करना पड़ा। कांग्रेस अध्यक्ष मलिकाजरुन खड़गे ने पार्टी की जीत पर कर्नाटक की जनता का आभार जताते हुए कहा कि कर्नाटक के मतदाताओं ने प्रगतिवादी भविष्य, कल्याण और सामाजिक न्याय के लिए वोट दिया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि कर्नाटक में ‘नफरत का बाजार’ बंद हो गया है।

कर्नाटक के लोगों ने सांठगांठ वाले पूंजीपतियों की ताकत को हरा दिया है। कर्नाटक में असेंबली चुनाव खासा हाई वोल्टेज रहा। कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों को लेकर आक्रामक प्रचार किया और उसके छोटे-बड़े तमाम नेता मैदान में उतर आए। भाजपा को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करिश्मे से ज्यादा आस थी। उसने चुनाव अभियान में धार्मिक पुट डालने का भी प्रयास किया लेकिन फायदा नहीं हुआ।

कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी दिक्कत मुख्यमंत्री पद के दो दावेदारों प्रदेशाध्यक्ष डीके शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को एकजुट बनाए रखने की थी, जिसमें वह सफल रही। अंतर्कलह और भ्रष्टाचार का आरोप भी भाजपा पर भारी पड़े। भाजपा के क्षत्रपों की अकर्मण्यता को भी हार का कारण बताया गया है। नि:संदेह ब्रॉन्ड मोदी की चमक धूमिल पड़ी है। कर्नाटक के नतीजे राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए बूस्टर डोज का काम करेंगे जहां आगामी महीनों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि थके-मांदे और निराश विपक्ष को इन नतीजों ने यकीन दिलाने का काम किया है कि मोदी अजेय नहीं हैं, उन्हें हराया जा सकता है।

गौरतलब है कि 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव में दक्षिण भारत के पांच राज्यों-कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना-की भूमिका अहम रहने वाली है। इन पांचों राज्यों में कुल मिलाकर लोक सभा की 129 सीटें हैं और अगली सरकार के गठन में इन सांसदों की भूमिका बेशक, काफी अहम रहेगी। इन राज्यों में भाजपा अपने को मजबूत कर एक तीर से कई निशाने साधना चाहती थी, लेकिन कर्नाटक के नतीजों ने उसके मंसूबे पर पानी फेरने का काम किया है।



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