यूपी निकाय चुनाव में योगी का जलवा
कर्नाटक चुनाव (Karnataka Election) ने भले भाजपा (BJP) को मायूस किया मगर उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव परिणाम (Uttar Pradesh Municipal Election Results) ने पार्टी को खिलखिलाने का मौका जरूर दिया।
![]() यूपी में योगी का जलवा |
पार्टी ने 17 नगर निगमों में से सभी 17, नगरपालिका की कुल 199 सीटों में 98 और नगर पंचायत की 544 में से 204 सीटों पर जीत हासिल कर विपक्षी दलों को चारों खाने चित्त कर दिया। संदेश साफ निकल कर आया है कि निकाय चुनाव में BJP का जादू जम कर चला; साथ ही योगी मॉडल का भी जोरदार ढंग से इस्तकबाल हुआ।
पार्टी की प्रचंड जीत के नायक बिना शक मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी (Uttar Pradesh Chief Minister Adityanath Yogi) रहे। उनकी कार्यशैली, मजबूत कानून-व्यवस्था, वृहद सांगठनिक ढांचा और समर्पित कार्यकर्ताओं के दम पर भाजपा ने बड़ी लकीर खींच दी है। यह जीत इस मायने में महत्त्वपूर्ण है कि निकाय चुनाव में इस बार दमदारी के साथ बहुजन समाज पार्टी तो उतरी ही थी, साथ में सपा-रालोद गठबंधन और आजाद समाज पार्टी भी खम ठोंक कर मैदान में मौजूद थीं। इसके अलावा बागी कार्यकर्ताओं की वजह से भाजपा खेमे में थोड़ी चिंता पसरी थी।
मगर योगी ने अपने कुशल नेतृत्व के दम पर साबित कर दिया कि राज्य में चलेगी तो भगवा पार्टी की ही। निकाय चुनाव जीत कर भाजपा की ट्रिपल इंजन की सरकार बनाने के लिए नि:संदेह योगी ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था। 13 दिनों में 43 जिलों में 50 जनसभा को संबोधित करना इसी बात को साबित करता है।
योगी की मेहनत सिर्फ प्रचार करने तक ही सीमित नहीं रही। सुशासन और भयमुक्त समाज की जिस अवधारणा को पार्टी शुरुआत से लेकर चली और उसे अंजाम तक पहुंचाया, इस जीत में ये सारी वजहें भी रहीं। बहरहाल, समाजवादी पार्टी (Samajwadi party) और बसपा (BSP) की करारी शिकस्त से आने वाले लोक सभा चुनाव में भाजपा के लिए राह चुनौतीपूर्ण नहीं होगी।
हां, योगी को अब ज्यादा संजीदगी से काम करना होगा। निकाय चुनाव में जन अपेक्षा मुखर रूप में होती है, इस नाते सरकार की जिम्मेदारी भी उसी अनुपात में होगी। विपक्ष के लिए भी इस चुनाव के संकेत यही दर्शाते हैं कि अगर जनता की दिक्कतों और अपेक्षाओं का सम्मान नहीं किया जाएगा तो उन्हें ऐसी ही हार का सामना करना पड़ेगा। अलबत्ता, यह संदेश सिर्फ विपक्षी दलों के लिए ही नहीं है, सत्तासीन पार्टी भी जीत के बाद मुगालते में न रहे और जन आकांक्षा का सम्मान सवरेपरि रखे।
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