सेंसर पर आमने-सामने

Last Updated 10 May 2023 01:30:32 PM IST

इस साल की पांचवी सबसे बड़ी ओपनिंग वीकेंड वाली फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ अपने ट्रेलर रिलीज के साथ ही विवादों में घिर गई थी। तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल ने इसकी रिलीज पर बैन लगा दिया है।


सेंसर पर आमने-सामने

कांग्रेस नेता व वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस से फिल्म पर रोक की याचिका पर जल्दी सुनवाई की अपील की। अब अदालत 15 मई को सुनवाई पर राजी हो गई, जबकि पहले सबसे बड़ी अदालत ने कह चुकी थी- फिल्म अच्छी है या नहीं, यह बाजार तय करेगा। इससे पहले केरल उच्च न्यायालय ने फिल्म का ट्रेलर देखकर रिलीज पर पाबंदी लगाने से इनकार कर दिया था। अदालत ने याचिकाकर्ताओं से सवाल किया था, क्या उन्होंने फिल्म देखी है। यह भी कहा कि किसी समुदाय विशेष के लिए इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है।

यह फिल्म केरल से गायब हुई बत्तीस हजार लड़कियों पर आधारित है, जो आतंकी संगठन आईएस में शामिल की गई। निर्माता-निर्देशक कह रहे हैं, कुछ घटनाओं का यह काल्पनिक रूपांतरण भर है। निर्देशक सुदीप्तो सेन ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अपील की है कि वे फिल्म देखकर ही कोई निर्णय लें, जबकि ममता इससे राज्य का सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने की बात कर रही हैं। फिल्मों की रिलीज पर पाबंदी लगाने का प्रचलन पिछले कुछ समय से तेजी से बढ़ा है।

फिल्म सर्टिफिकेशन बोर्ड के प्रमाण पत्र के बावजूद विपरीत विचारधारा वाले अचानक उग्र हो जाते हैं। फिल्मों का कैनवस तभी बेहतर हो सकता है, जब विषय पर उनकी पैनी नजर हो। एकतरफ हिंदी सिनेमा से कंटेन्ट यानी विषय के गायब होने की शिकायतें की जाती हैं। दूसरी तरफ जो फिल्मकार गहन अध्ययन के साथ कुछ अनूठा निकाल पाते हैं, उन पर शिंकजा कसने के प्रयास होते हैं।

विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन में बनी द कश्मीर फाइल्स की रिलीज पर भी ऐसा ही घमासान मचा था, जबकि दर्शकों ने उसे सराहा। एक बात तो साफ है कि फिल्म स्तरीय नहीं होगी तो सिनेमाप्रेमियों को जबरन नहीं दिखाई जा सकती। यहां बात लड़कियों के गायब होने की भी की जा रही है। जो समाज के लिए बड़ा मुद्दा हो सकता है। क्योंकि सिर्फ केरल ही नहीं, देश भर से बड़ी संख्या में लड़कियां लापता होती हैं। जिनकी कोई खोज-खबर नहीं मिलती। कला व रचनात्मकता को जितना हो सके राजनीति से अछूता ही रखा जाना चाहिए।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment