‘संप्रभुता’ पर बहस

Last Updated 10 May 2023 01:23:12 PM IST

संप्रभुता के मामले पर अच्छा होता कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) अतिवादी रुख नहीं अपनाते, लेकिन अब तक अच्छी तरह स्थापित हो चुका है कि वो कांग्रेस की आलोचना करने का कोई बहाना चाहे वह मात्र बहाना ही क्यों न हो, छोड़ना नहीं चाहते।


‘संप्रभुता’ पर बहस

संप्रभुता का मामला यह था कि कांग्रेस के अधिकारिक ट्वीटर हैंडल पर कर्नाटक में सोनिया गांधी के चुनावी सभा में दिए गए बयान का उद्धरण देते हुए लिखा गया कि कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने कहा है कि पार्टी कर्नाटक की प्रतिष्ठा, संप्रभुता और अखंडता को नष्ट नहीं होने देगी।

यह दीगर बात है कि सोनिया गांधी के जिस भाषण का उल्लेख किया गया है उसमें इस तरह की कोई भी बात नहीं कही गई है। लेकिन भाजपा ने ट्वीटर हैंडल में कही गई बात को कांग्रेस का आधिकारिक बयान मानते हुए चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई कि सोनिया गांधी कर्नाटक को एक संप्रभु राज्य मानती है यानी कि वह कर्नाटक को एक भारतीय राज्य संघ का हिस्सा नहीं मानती और इस तरह का विचार आपराधिक कृत्य है।

प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने अपनी जनसभा में कांग्रेस को इस तरह कठघरे में खड़ा किया मानो सोनिया गांधी कर्नाटक के लिए अलग राष्ट्र का दर्जा मांग रही हैं। प्रधानमंत्री का यह बयान अतिवादी तो था, लेकिन कांग्रेस को हास्यास्पद स्थिति में डालने वाला भी था। कांग्रेस के प्रवक्तागण ट्वीटर हैंडल के इस कारनामे को मोदी पर प्रत्यारोप लगाकर बचाव करते नजर आए।

इससे उन्होंने अपनी स्थिति और भी हास्यास्पद कर ली। होना यह चाहिए था कि कांग्रेस अपने इस बयान को ट्वीटर हैंडल से तुरंत हटा लेती और इस गलती के लिए माफी मांग लेती तो ऐसा करके वह फालतू के फजीहत से बच सकती थी, लेकिन जिद तो जिद है, चाहे जिसकी हो।

पक्ष की या प्रतिपक्ष की। बहरहालल यह मामला रफा-दफा तो हो ही जाएगा लेकिन एक प्रहसन के तौर पर याद किया जाता रहेगा। इससे ज्यादा इस संप्रभुता कांड का कोई अलग महत्त्व नहीं है। होना तो यह चाहिए कि इस तरह की शून्य महत्त्व की गलतियों को चुनावी रणनीति का हिस्सा न बनाया जाए, लेकिन भारतीय राजनीति का तमाशा देखिए कि अगर किसी नेता की जुबान भी फिसल जाए और वह कहना कुछ चाह रहा और कुछ और कह जाए तो इस विचलन को ही सत्य मानकर विवाद प्रतिद्वंद्विता शुरू हो जाती है। ऐसा नहीं होना चाहिए। सभी राजनीतिक दलों को इस तरह की तुच्छ बहस से बचना चाहिए।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment