कर्नाटक चुनाव : घोषणा-पत्र पर संग्राम

Last Updated 04 May 2023 01:52:41 PM IST

कर्नाटक विधानसभा (KJarnataka Election) का चुनाव पूरी तरह से सांप्रदायिक होता जा रहा है, जो लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत तो कतई नहीं है।


घोषणा-पत्र पर संग्राम

कांग्रेस ने अपने घोषणा-पत्र में संगठनों बजरंग दल (Bajran Dal) और पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर चुनाव को ज्यादा आक्रामक कर दिया है। गौरतलब है कि बजरंग दल और पीएफआई जैसे संगठनों के खिलाफ राज्य में अशांति और नफरत बढ़ाने के कई मामले दर्ज हैं। कभी ईसाई समुदाय के खिलाफ हिंसक वारदात को अंजाम देना तो कभी धार्मिक भावनाओं को भड़काने और शांति में खलल डालने जैसे कई गंभीर आरोप उन पर लगे हैं।

पीएफआई पर भी हिंसा करने और धार्मिक आधार पर हिंसा फैलाने और खून-खराबा करने जैसे कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं। स्वाभाविक है, कांग्रेस ने बड़ा दांव खेला है और एक तरह से देश की सबसे पुरानी पार्टी ने मुस्लिमों को बड़ा संदेश दिया है कि कांग्रेस ही उनके बारे में सोच सकती है, और उनके हितों का ख्याल रख सकती है। वहीं, देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा दक्षिण के अपने इकलौते दुर्ग को बचाने की हर संभव कोशिश में है।

कांग्रेस के घोषणा-पत्र ने उसकी राह थोड़ी आसान कर दी है क्योंकि सांप्रदायिक मसले हमेशा से भाजपा को सूट करते हैं और वह ऐसे मुद्दों पर वोटों का ध्रुवीकरण आसानी से कर लेती है। बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के ऐलान से लाजिमी तौर पर भाजपा ने राहत महसूस की है। यही वजह है कि अब वह इसी मुद्दे को चुनाव में भुनाने की जी-तोड़ कोशिश में जुट गई है। न केवल राज्य भाजपा, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी प्रचार के दौरान इसी बात को दोहराया कि कांग्रेस ने पहले राम को बंद किया और अब हनुमान जी बोलने को भी बंद करना चाहती है।

हालांकि कांग्रेस के घोषणा-पत्र में बजरंग दल के अलावा पीएफआई पर भी प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है। चुनाव में रोजगार और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की बात अब गौण होती चली जाएगी। ऐसा हो भी रहा है। सारा खेल सिमट कर हिन्दू-मुस्लिम ध्रुवीकरण पर केंद्रित हो चुका है। चूंकि दक्षिण में कर्नाटक ही है, जहां भाजपा ने सबसे पहले कमल खिलाया था। भगवा पार्टी चाहती है कि किसी तरह यहां की सत्ता पर कब्जा बरकरार रखा जाए, जिससे देश भर में संदेश जाए कि भाजपा के प्रति जनता में भरोसा कायम है। यही वजह है कि वह इस मुद्दे पर बेहद आक्रामक तेवर दिखा रही है। देखना है, कांग्रेस के पास भाजपा की आक्रामकता की काट क्या है?



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