चिंता की बात है
जिस वक्त सर्दी को सताना चाहिए, उस वक्त अगर लोग गर्मी से बेहाल होने लगें तो यह वाकई चिंता का सबब है।
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उत्तर और पश्चिमोत्तर भारत के कई इलाकों में पारा तेजी से चढ़ने लगा है। यहां तक कि पश्चिमी तटीय इलाकों में लू की स्थिति पैदा हो गई है, वहीं पहाड़ी इलाके भी गर्म हो गए हैं। दिल्ली की बात करें तो रविवार को यहां का तापमान 31.5 डिग्री दर्ज किया गया। जबकि आमतौर पर फरवरी महीने में अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से कम रहता है। बीते 14 साल में पहली बार हुआ है कि फरवरी के शुरुआती 20 दिन में ही पारा इतना ऊपर चढ़ा है।
कुछ ऐसा ही हाल हिमाचल प्रदेश का है जहां तापमान सामान्य से 4-5 डिग्री ज्यादा दर्ज किया गया है। फरवरी का महीना अभी खत्म भी नहीं हुआ है मगर चढ़ते पारे ने आमजन के साथ ही पर्यावरण विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है। वाकई यह स्थिति अच्छी नहीं है और आने वाले दिनों की भयावहता का संकेत दे रहे हैं। एक तो जल्दी गर्मी शुरू होने से पहाड़ी राज्यों में ठंड का आनंद लेने पहुंचे सैलानियों को निराशा हाथ लगी और वे लौटने लगे हैं।
स्वाभाविक है कि सैलानियों के आने से होने वाली कमाई मौसम के रंग दिखाने से प्रभावित होगी। एक आशंका यह भी लगाई जाने लगी है कि समय से पहले पारा चढ़ने का असर गेहूं, दलहन और तिलहन पर पड़ेगा। यहां तक कि मौसमी फल भी इस अप्रत्याशित मौसम की जद में आएंगे और उत्पादन भी प्रभावित होगा। दूसरी तरफ वैश्विक तापमान बढ़ने के कारण आबोहवा में आए बदलाव का नतीजा यह निकला कि पिछले कुछ वर्षो में सर्दी के दिन सिकुड़ रहे हैं और फरवरी से ही गर्मी शुरू हो रही है। यानी बसंत का मौसम अब बीते दिनों की बातें हो गई हैं। सर्दी से अब हम गुलाबी सर्दी का अहसास न करके सीधे गर्मी से दो-चार होंगे।
इस बदलते मौसम के मिजाज को हमें संजीदगी से समझना होगा। अगर अभी गर्मी का यह हाल है तो आने वाले दिनों में अल्प वृष्टि की आशंका से सनकार नहीं किया जा सकता है। सरकार को इस मसले पर चिंतन करना चाहिए। पर्यावरण के प्रति जागरूक और संवेदनशील होने पर ही हम प्रकृति के कोपभाजन से बच पाएंगे। अभी अगर फरवरी के शुरुआती हफ्ते में गर्मी का यह हाल है तो मौसम के तीखे होते तेवर के प्रति हमें सचेत रहना होगा। इसे हल्के में लेने का खामियाजा हम तो भुगतेंगे ही, हमारी पीढ़ियां भी इससे नहीं बच पाएंगी।
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