वैध हो प्रक्रिया
खरीद-बिक्री के आधुनिक तरीके आम जनता को सुविधा तो प्रदान करते हैं, लेकिन कालांतर में बहुत सी समस्याओं को भी जन्म देते हैं।
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इस सुविधा का उपयोग के साथ ही दुरुपयोग भी संभव है। बिक्री के लिए उपलब्ध वस्तुओं की सूची किसी भी सरकार के लिए सरदर्द बढ़ने वाली साबित हो सकती है। इसका देशविरोधी और असामाजिक तत्व फायदा उठाकर जनमानस में व्यवस्था की छवि खराब कर सकते हैं।
ऑनलाइन माध्यम के जरिए विस्फोटक रसायन, तेजाब, मादक द्रव्यों इत्यादि की खरीद-फरोख्त के कई मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन जिस ताजा मामले पर सरकार की नजर गई है वह है दवाओं की अवैध ऑनलाइन बिक्री। भारत में बिना लाइसेंस दवाओं की बिक्री नहीं की जा सकती लेकिन ऑनलाइन सामान बेचने वाले सारे नियमों को धता बताते हुए यह काम कर रहे हैं। इस गैरकानूनी हरकत के लिए भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने अमेजन, फ्लिपकार्ट और हेल्थ प्लस समेत 20 ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
डीसीजीआई ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवश्यक कार्रवाई और अनुपालन के लिए मई और नवम्बर, 2019 में आदेश भेजा था। तीन फरवरी को दोबारा आदेश जारी किया गया है। नोटिस में कहा गया है, आदेश के बावजूद यह कंपनियां बिना लाइसेंस के इस तरह की गतिविधियों में संलिप्त पाई गईं हैं।
इन कंपनियों से कहा गया है कि नोटिस के जारी होने की तारीख से दो दिनों के अंदर कारण बताते हुए स्पष्ट करें कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के प्रावधानों और बनाए गए नियमों के उल्लंघन करते हुए दवाओं की बिक्री, स्टॉक, प्रदर्शन या वितरण की पेशकश के लिए आपके खिलाफ कठोर कार्रवाई क्यों न की जाए।
यहां यह उल्लेखनीय है कि यदि सरकार दवाओं की ऑनलाइन खरीद-बिक्री को हतोत्साहित नहीं करना चाहती तो उसे इसके लिए व्यवस्थाओं में बदलाव करके ऐसे मानक निर्धारित करने होंगे, जिनका पालन करना अवश्यंभावी प्रकृति का हो और किसी भी प्रकार से नियमों में छेड़छाड़ कर बचना संभव न हो। इससे व्यवसाय को भी नुकसान नहीं होगा और आमजन को भी स्तरीय मानकों वाली दवाएं मिलना संभव हो सकेगा। इससे न तो अवैध दवाओं की बिक्री होगी और न ही अवैध ढंग से बिक्री होगी।
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