मिल गया ‘खजाना’
लीथियम ऐसा खनिज पदार्थ है, जिसने आज दुनिया में कई देशों की किस्मत बदल दी है। 21वीं सदी में ऊर्जा का यह ऐसा भंडार है जो जीवाश्म ईधन पर निर्भरता को खत्म कर दुनिया को ग्लोबल वार्मिग से बचाने में मदद कर रहा है।
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लीथियम आयरन बैटरियों के माध्यम से यह पूरी दुनिया के परिवहन क्षेत्र में विद्युत चालित वाहनों की क्रांति का सूत्रपात कर चुका है, और सोलर पैनल, मोबाइल, लैपटॉप और बिजली के अन्य सामानों के क्षेत्र में पूर्ण परिवर्तन ला रहा है। भारत को लीथियम के लिए अभी तक ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन यह निर्भरता अब खत्म हो जाएगी क्योंकि जम्मू-कश्मीर में लीथियम का खजाना हाथ लग गया है।
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) ने पुष्टि की है कि रियासी जिले के सलाल-हैमाना इलाके में करीब 59 लाख टन लीथियम का भंडार मौजूद है। देश में रियासी लीथियम खनन की पहली साइट होगी। 62वीं केंद्रीय भूवैज्ञानिक प्रोग्रामिंग बोर्ड की बैठक में लीथियम और सोना समेत 51 खनिज ब्लॉकों पर रिपोर्ट राज्य सरकारों को सौंपी गई। खनन सचिव के मुताबिक देश में पहली बार जम्मू-कश्मीर के रियासी में लीथियम के भंडार की खोज की गई है।
अब सोलर पैनल, मोबाइल और ईवी समेत कई अन्य उपकरणों की बैटरी बनाने में इस खनिज की आवश्यकता होती है। जीएसआई की रिपोर्ट सौंपी में 51 खनिज ब्लॉकों की जानकारी दी गई है। इनमें से 5 ब्लॉक सोने से संबंधित हैं। ये ब्लॉक 11 राज्यों जम्मू और कश्मीर, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना हैं। इनमें लीथियम और सोने के अलावा पोटाश, मोलिब्डेनम, बेस मेटल आदि शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार जम्मू कश्मीर में लीथियम के अलावा मैग्नासाइट, सैफायर, चूना पत्थर, जिप्सम, मारबल, ग्रेनाइट, बॉक्साइट, कोयला, लिग्नाइट, स्लेट, क्वार्टजाइट, बोरेक्स, डोलोमाइट, चाइना क्ले और ग्रेफाइट भी मौजूद हैं।
इसका अर्थ यह हुआ कि अपनी उपद्रवग्रस्त स्थिति के कारण जिस क्षेत्र की सुरक्षा और विकास पर भारत को अपने संसाधन झोंकने पड़ते थे वह इलाका आने वाले वक्त में अपने ही नहीं अपितु पूरे देश के विकास की नई कहानी लिखने में सहायक होगा।
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