कोरोना से बच के
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह कहना बिल्कुल सही है कि कोरोना अभी गया नहीं है और बार-बार रूप बदलकर सामने आ रहा है।
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यह बयान तब आया है जब देश भर में कोरोना के समय लगाई गई पाबंदियों को पूरी तरह से हटा दिया गया है। प्रधानमंत्री ने आमजन से इस वैश्विक महामारी से सतर्क रहने की अपील की है। उनके इस बयान से समझा जा सकता है कि कोरोना को अब बीता हुआ मानने की गलती भारी पड़ सकती है। वैसे भी गाजियाबाद और नोएडा के कुछ स्कूलों में छात्रों के कोरोनासंक्रमित मिलने से हड़कंप मच गया है।
गाजियाबाद के दो निजी स्कूलों के पांच बच्चे संक्रमित पाए गए हैं, जबकि नोएडा के भी एक स्कूल के कुछ बच्चे संक्रमित पाए गए। फिलहाल इन स्कूलों को बंद कर दिया गया है। ज्ञातव्य है कि स्कूल खुले अभी हफ्ता भर ही हुआ है। यहां तक कि राजधानी दिल्ली में कोरोना के मरीज एकाएक बढ़ने लगे हैं। रविवार को देश में कुल 861 नये संक्रमित मरीज मिले। इसके अलावा छह मरीज की मौत हो गई। स्वाभाविक है कि हम सभी को उन उपायों और दिशा-निर्देशों का उसी तरह पालन करना होगा, जिसे कोरोना के शुरुआती समय में बताया गया था। सच्चाई यही है कि यह एक ‘बहरूपिया’ बीमारी है।
तमाम उपायों और जागरूकता कार्यक्रमों के बावजूद कुछ अंतराल के बाद यह विषाणु सिर उठा लेता है। इस वैश्विक महामारी ने कई दूसरे देशों में दूसरी, तीसरी और चौथी लहर का कहर बरपा रखा है। यहां तक कि चीन जहां से इस महामारी के पैदा होने की आशंका व्यक्त की गई; वहां तो इस समय हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। चीन के अलावा हांगकांग, दक्षिण कोरिया अदि देशों में यह अभी भी लोगों को अपने शिकंजे में ले रहा है। दूसरे देशों की वर्तमान स्थिति को देखते हुए यही समझ में आता है कि हमें इतनी जल्दी पाबंदियों को खत्म नहीं करना चाहिए था। कम-से-कम मास्क पहनने से मिली छूट को अब भी बहाल किया जाना चाहिए।
साथ ही ज्यादा भीड़ न जुटाने और टीकाकरण की रफ्तार को बढ़ाने की महती जरूरत है। अच्छी बात यह है कि हमारे यहां 185 करोड़ लोगों को वैक्सीन की डोज लगाई जा चुकी है। फिलवक्त बूस्टर डोज लगाने का काम चल रहा है। इसे तेजी से पूरा करने की जरूरत है। चूंकि बच्चों को यह अपना शिकार बना रहा है तो ऐहतियातन हमें इस दिशा में ज्यादा सचेत और अनुशासित रहने की दरकार है।
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