बेदखल इमरान
आखिरकार, शनिवार देर रात पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार गिर गई और नया प्रधानमंत्री बनने के लिए पीएमएल-एन के शहबाज शरीफ और इमरान खान की सरकार में विदेश मंत्री रहे शाह महमूद कुरैशी ने पर्चा भी दाखिल कर दिया।
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इमरान 2018 में ‘नया पाकिस्तान’ बनाने के वादे के साथ सत्ता में आए थे। वह इतिहास में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए बेदखल किए जाने वाले पहले प्रधानमंत्री बन गए हैं। शहबाज शरीफ का प्रधानमंत्री बनना तय है। नेशनल असेंबली में इमरान सरकार अंतिम समय अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से बचती रही। इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ का तर्क था कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के बजाय सरकार गिराने की ‘विदेशी साजिश’ पर चर्चा हो।
बहरहाल, प्रस्ताव के पक्ष 174 मत पड़े जबकि इमरान खान और उनकी पार्टी का कोई भी सांसद सदन में मौजूद नहीं था। असेंबली में कार्यवाही समाप्त हुई भी नहीं थी कि इमरान ने रात को ही प्रधानमंत्री आवास खाली कर दिया और बनीगाला स्थित अपने निजी आवास पर चले गए। शनिवार को नेशनल असेंबली की बैठक शुरू होते ही स्पीकर असद कैसर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। फिर सदन की कार्यवाही पीएमएल-एन के सांसद अयाज सादिक ने नये स्पीकर के रूप में संचालित की। शहबाज लंबे समय तक पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
इमरान की घेराबंदी मुख्यत: विपक्षी नेताओं-शहबाज शरीफ, आसिफ अली जरदारी और मौलाना फजलुर्रहमान-ने की थी, लेकिन इमरान को सियासी बिसात पर मात देने में शहबाज आगे रहे। नवाज शरीफ के विदेश में होने के कारण अरसे से पार्टी की कमान भी शहबाज ने अच्छे से संभाले रखी। शहबाज के सेना से संबंध नवाज शरीफ की बनिस्बत कहीं बेहतर हैं। माना जा रहा है कि हाल में इमरान द्वारा भारत की विदेश नीति की प्रशंसा से सेना असहज हो गई थी।
रूस के राष्ट्रपति पुतिन से इमरान के मिलने से अमेरिका भी नाराज हुआ और सेना ने इमरान की पीठ से हाथ हटा लिया। चीन-पाकिस्तान के इकोनॉमिक कॉरिडोर को पंजाब प्रांत में जिस तेजी से मुख्यमंत्री रहते हुए शहबाज ने निपटाया उससे चीन के भी वे प्रिय हैं। आर्मी चीफ जनरल बाजवा कश्मीर में सीजफायर की बात कह चुके हैं, तो माना जा सकता है कि शहबाज के समय में कश्मीर में सीजफायर हो सकता है, और कश्मीर पर बातचीत का सिलसिला भी नये सिरे से जम सकता है। शहबाज अमेरिकापरस्त नीति अपना सकते हैं।
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