अर्थव्यवस्था में स्थिरता
अर्थव्यवस्था इस समय कच्चे तेल के दाम में उछाल और प्रमुख जिंसों की कीमतों में तेजी समेत विभिन्न चुनौतियों से जूझ रही है।
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यह कहना है भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास का। सोमवार को उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरबीआई गवर्नर ने अलबत्ता, आश्वस्त किया कि केंद्रीय बैंक कठिन हालात में अर्थव्यवस्था को समर्थन देने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। सुनिश्चित करेगा कि अर्थव्यवस्था में नकदी की समस्या पैदा न होने पाए। भारतीय मुद्रा में स्थिरता सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है, और केंद्रीय बैंक के सामने यह बड़ी चुनौती है।
उसने महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था में नकदी की समस्या की आशंका को डिजिटल लेन देन बढ़ने ने ज्यादा भयावह नहीं होने दिया। आरबीआई ने मार्च, 2020 में महामारी से अर्थव्यवस्था पर असर शुरू होने के बाद से अब तक 17 लाख करोड़ रुपये की पूंजी अर्थतंत्र में डाली है। रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अंदेशों के बादल मंडरा रहे हैं। हर देश इस युद्ध के अपनी अर्थव्यवस्था पर पड़ सकने वाले असर को लेकर चिंतित है, और असर के आकलन में जुटा है, उपाय कर रहा है ताकि युद्ध के असर से उसकी अर्थव्यवस्था बची रहे। भारत के लिए हालात ज्यादा प्रतिकूल नहीं दिख रहे। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 677 अरब डॉलर है। इसलिए वह किसी भी वैश्विक चुनौती से पार पाने में सक्षम है।
भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती का सबसे बड़ा संकेत यह है कि महामारी से जब तमाम अर्थव्यवस्थाएं लड़खड़ाने लगीं, बेशक भारत में भी इसके व्यापक प्रभाव पड़े, उन्हीं बीते तीन वर्षो की अवधि के दौरान भारत अपने विदेशी मुद्रा के भंडार में 270 अरब डॉलर का इजाफा करने में सफल रहा। विदेशी मुद्रा भंडार के माकूल हालात आश्वस्त करते हैं कि भारत किसी भी झटके को झेलने में सक्षम है। अलबत्ता, तेल के दामों उछाल की आशंका और महामारी से प्रभावित कुछ क्षेत्रों में शिथिलता की समस्या से पार पाना होगा। बेशक, हालात महंगाई बढ़ाने वाले हैं, और महंगाई-जनित मंदी की आशंका है। लेकिन अर्थव्यवस्था बाहरी मोच्रे पर अच्छा कर रही है, और आर्थिक संकेतक भी मजबूत हैं, इसलिए आश्वस्त रह सकते हैं कि अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनी रहेगी।
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