क्वाड देश और भारत

Last Updated 22 Mar 2022 12:26:44 AM IST

हर देश के अन्य देशों से अपने द्विपक्षीय संबंध होते हैं, अंतरराष्ट्रीय बाध्यताओं को निभाते समय उसे अपने परस्पर संबंधों को भी निभाना होता है।


क्वाड देश और भारत

इसी मान्यता के आधार पर क्वॉड देशों ने रूस पर भारत के रु ख को स्वीकारते हुए किसी भी नाराजगी से इनकार किया है। ऑस्ट्रेलिया का कहना है कि रूस पर भारत के रु ख को क्वॉड सदस्यों ने स्वीकार किया है और कोई भारत के रुख  से नाखुश नहीं है। भारत के साथ ही ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान क्वॉड के सदस्य हैं। भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओ फैरल ने पुष्टि की कि क्वॉड सदस्य जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया इस बात को स्वीकार करते हैं कि रूस को लेकर भारत की राय उनसे अलग है, लेकिन इस बात से कोई नाराज नहीं है। इन सभी देशों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्रालय यूक्रेन में जारी युद्ध को खत्म करने के लिए अपनी तरफ से भरपूर कोशिशें कर रहे हैं।

क्वॉड सदस्यों में भारत एकमात्र देश है, जिसने यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस की निंदा नहीं की है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में रूस विरोधी प्रस्तावों पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया, जिसकी रूस ने तारीफ की थी। कई देशों ने भारत पर रूस के खिलाफ रु ख अपनाने के लिए दबाव बनाने का भी प्रयास किया, मगर भारत रूस के साथ अपने आपसी संबंधों को कायम रखे हुए है व उससे तेल खरीद का समझौता भी कर चुका है। जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के नेताओं ने इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक बैठक की थी। बैठक में तीनों नेताओं ने मोदी को अपने जैसा रु ख अपनाने के लिए मनाने की कोशिश की थी, जिसमें वे नाकाम रहे।

अब ये नेता भी इस बात को महसूस कर रहे हैं कि यूक्रेन पर रूसी हमलों को लेकर भारत का रुख 1957 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की अपनाई उस नीति से प्रेरित नजर आता है कि भारत निंदा करने का काम नहीं करता है और टकराव के समाधान की गुंजाइश बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है। रूस-यूक्रेन विवाद में भी भारत का यही कहना है कि संकट का समाधान वार्ता और कूटनीति के जरिए किया जाना चाहिए। भारत अपनी सैन्य और अन्य जरूरतों के लिए काफी हद तक रूस पर निर्भर है।

भारत की कुल हथियार खरीद का 60 प्रतिशत से ज्यादा रूस से आता है। वर्तमान में जिस समय भारत चीन के साथ संबंधों में ऐतिहासिक तनाव झेल रहा है और उसकी हथियारों की जरूरत और बढ़ रही है। ऐसे में रूस के साथ संबंधों में खिंचाव की स्थिति भारत की सामरिक स्थिति को दबाव में ला सकती है। भारत अपने नये दोस्तों को खुश करने के लिए पुराने को नाराज करने का जोखिम नहीं उठा सकता।



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