कोरोना से संभल के
हांगकांग, चीन और दक्षिण कोरिया में कोरोना के कहर बरपाने के दरम्यान भारतीय डॉक्टरों का यह कहना काफी तसल्ली भरा है कि कोरोना के अब पहले जैसे घातक होने की आशंका कम है।
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यह महामारी फिलहाल नियंत्रण में है। इसके बावजूद जिस प्रकार यह वायरस रूप बदलकर प्रतिरोधक क्षमता को चकमा देता आ रहा है, उसे देखते हुए यह जरूर कहा जा सकता है कि अभी कोरोना का खतरा टला नहीं है। चिंता की खबरें पड़ोसी देश चीन के अलावा हांगकांग, सिंगापुर द. कोरिया से आ रही हैं, जहां इस जानलेवा बीमारी ने कहर बरपा रखा है।
हांगकांग में लोग इस कदर मर रहे हैं कि वहां ताबूत भी कम पड़ रहे हैं। शवों को फ्रिज में रखा जा रहा है। चूंकि हांगकांग चीन का निकटवर्ती क्षेत्र है तो स्वाभाविक रूप से चीन में चिंता की लकीरें गहरी हो चली हैं। दरअसल, कोरोना का एक नया वेरिएंट (बीए.2) इन देशों में लोगों को अपना शिकार बना रहा है। 2020 की शुरुआत में कोरोना ने चीन को अपने शिकंजे में लिया था। इसके बाद विश्व मे बाकी देशों में यह फैला और तबाही मचाई।
भारत के संदर्भ में रह-रह कर यह तथ्य सामने आते हैं कि यहां कोरोना का नया वेरिएंट कमजोर होगा और पिछली बार की तरह बड़े पैमाने पर लोगों को अपना शिकार नहीं बनाएगा। इसके पीछे का तर्क यह है कि भारत में प्राकृतिक और वैक्सीन, दोनों प्रकार की इम्युनिटी (प्रतिरोधक क्षमता) बाकी देशों की तुलना में काफी बेहतर हैं। इसलिए, फिलहाल डरने वाली कोई बात नहीं है। इसके बावजूद आईआईटी कानपुर के रिसर्च में अगले महीने कोरोना की चौथी लहर आने की आशंका जताई गई है।
अलबत्ता सतर्कता ही ऐसे मामलों में रामबाण साबित होता है। इस नाते हर नागरिक को अनुशासित होकर उन निर्देशों का पालन करना चाहिए जो सरकार ने दो वर्ष पहले बताए थे। मसलन; मास्क लगाना, दो गज की दूरी, हाथों को साबुन से धोना और सैनिटाइजर का बराबर इस्तेमाल।
अगर हम इन छोटी किंतु महत्त्वपूर्ण बातों पर अमल करेंगे तो इस महामारी को आसानी से पस्त कर सकते हैं। हमें एकाएक चीन की तरह जीरो कोविड नीति नहीं लानी होगी। कहावत है, ‘अच्छा तैराक किनारे पर ही डूबता है’। इसलिए जब तक महामारी खत्म नहीं हो जाती तब तक चौकन्ना और जागरूक रहना होगा। थोड़ी सी लापरवाही भारी पड़ सकती है।
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