चमक के बावजूद

Last Updated 02 Dec 2021 12:41:02 AM IST

देश के लिए अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर अच्छी खबर है। 30 नवम्बर, 2021 मंगलवार शाम को जीडीपी की विकास दर के आंकड़े आए, जो उम्मीद से बेहतर रहे।


चमक के बावजूद

वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितम्बर) में विकास दर 8.4% दर्ज की गई। माना जा रहा है कि अब अर्थव्यवस्था की हालत कोरोना पूर्व जैसी हो गई है। इसका आशय यह है कि लोग खरीदारी करने निकल रहे हैं, औद्योगिक गतिविधियां जोर पकड़ रही हैं। ये सब सकारात्मक संकेत हैं।

कोरोना से दुष्प्रभावित अर्थव्यवस्था अपने पैरों पर  खड़ी हो रही है, यह अपने आप में बहुत बड़ा आर्थिक समाचार ही नहीं, राजनीतिक समाचार भी है। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट-7.3% फीसदी रही थी यानी तब अर्थव्यवस्था का विकास नहीं हुआ था, अर्थव्यवस्था डूबी हुई थी। गौरतलब है कि कोरोना संकट की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगा और केंद्र को तरह-तरह के सहायता कार्यक्रम चलाने पड़े।

इसलिए अर्थव्यवस्था वापस कोरोना पूर्व के स्तर पर जा रही है, यह समाचार आस्तिकारक तो है, पर यहां देखने की बात यह है कि सावधानी की जरूरत अब भी है। महंगाई लगातार सिर उठा रही है और उसके चलते तमाम लोगों की क्रय क्षमता पर असर पड़ा है। देखने की बात यह भी है कि कुछ सेक्टरों की चमक तो तेजी से बढ़ रही है, पर कुछ  सेक्टरों का हाल अब भी चिंतनीय है। और अब कोरोना के नये वेरियेंट ओमीक्रॉन ने चिंताओं को नये सिरे से बढ़ा दिया है।

एक बहुराष्ट्रीय दवा कंपनी के अधिकारी ने कहा है कि कोरोना के टीके नये वेरिएंट पर कारगर नहीं हैं। इस समाचार ने दुनिया भर में चिंताएं बढ़ाई हैं। तमाम देश अपनी सीमाओं को फिर से बंद करने में जुट गए हैं। कुल मिलाकर स्थिति सुधरती हुई दिखती तो है पर सुधर गई है पूरे तौर पर, यह कहना उचित नहीं है। इसलिए अर्थव्यवस्था के चमकदार आंकड़ों का स्वागत करते हुए यह भी इंगित किया जाना चाहिए कि अब भी सावधानी जरूरी है, और खासकर छोटे काम धंधों को मदद की जरूरत अब भी है। वहां रोजगार की स्थितियां अब भी गंभीर बनी हुई हैं। अर्थव्यवस्था मोटे तौर पर भले ही बहुत ही उजियारी दिख रही हो, पर उसके तमाम कोनों-कतरों में घुप्प अंधेरे भरे हुए हैं।



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