ये आग कब बुझेगी
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के सिविल अस्पताल में शनिवार सुबह कोरोना आईसीयू वार्ड में आग लगने से ग्यारह मरीजों की मौत हो गई।
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दस से ज्यादा लोग घायल हो गए। मरने वालों में 65 से 83 साल उम्र के लोग अधिक थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने इस घटना पर गहरा दुख जताया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी घटना पर दुख जताते हुए घटना की जांच के आदेश दिए हैं। मृतकों के स्वजन को पांच-पांच लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है।
मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा कि जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। आग का कारण शॉर्ट सर्किट बताया गया है, जो करीब ग्यारह बजे लगी और देखते ही देखते पूरी आईसीयू में फैल गई। हादसे के समय 17 मरीज उपचाराधीन थे। सात मरीजों को ही सुरक्षित निकाला जा सका। दस ने आईसीयू में दम तोड़ दिया, जबकि घायलावस्था में बाहर निकाले गए एक घायल ने बाद में दम तोड़ दिया। अस्पताल में आग लगने की यह पहली घटना नहीं है। बीते एक साल में राज्य में छह से ज्यादा अस्पतालों में आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं।
हर बार सहायता राशि देने के साथ ही जांच और कार्रवाई करने की बात कही जाती है, लेकिन कुछ ठोस नहीं होता। ज्यादातर मामलों में आग से सुरक्षा के उपाय लचर होने का पता चला लेकिन इस दिशा में कुछ खास नहीं किया जा सका। अस्पतालों में आग लगने की घटनाओं पर सर्वोच्च न्यायालय तक नाराजगी जता चुका है। बीती जुलाई में शीर्ष अदालत ने कहा था कि यदि अस्पताल नियमों का पालन नहीं करेंगे तो लोग लगातार मरते और जलते रहेंगे। लोगों के जीवन की कीमत पर अस्पतालों को फलने-फूलने नहीं दिया जा सकता। दुखद ही है कि शीर्ष अदालत की सख्त टिप्पणी के बाद भी अस्पतालों में हालात बेहतर नहीं हुए हैं, जिसकी ताकीद अहमदनगर के सरकारी अस्पताल का हादसा कर रहा है।
यह भी बयां कर रहा है कि अस्पतालों में फायर सेफ्टी उपायों को लेकर किस कदर लापरवाही बरती जा रही है। अहमदनगर नगर निगम के मुख्य अग्नि शमन अधिकारी शंकर मीसल के मुताबिक, इस अस्पताल से पाइपलाइन, स्प्रिंकलर समेत प्रभावी अग्निशामक प्रणाली लगाने को कहा गया था, लेकिन धन की कमी के चलते काम अधूरा रह गया। अहमदनगर हादसे को सबक की तरह लेना होगा वरना तो आधे-अधूरे उपाय ऐसे हादसों की आशंका के हालात बनाए रख सकते हैं।
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