चीन का नया सीमा कानून

Last Updated 29 Oct 2021 12:39:37 AM IST

अपनी विस्तारवादी नीतियों से बाज आने की बजाय चीन पड़ोसियों को परेशान करने की नीति पर पूरी ढीठता से आगे बढ़ रहा है।


चीन का नया सीमा कानून

इसी क्रम में वह नया भूमि सीमा कानून (लैंड बाउंड्री लॉ) लेकर आया है, जो पड़ोसी देशों के साथ विवादित क्षेत्रों पर केंद्रित है, भारत ने चीन की इस हरकत पर कड़ा एतराज जताया है। भारत ने चिंता जताते हुए कहा है कि भूमि सीमा कानून लाने के चीन के एकतरफा फैसले का सीमा प्रबंधन की मौजूदा द्विपक्षीय व्यवस्थाओं पर गंभीर असर पड़ सकता है। भारत ने बुधवार को कहा कि चीन को सीमा के विवादित क्षेत्रों में एकतरफा बदलाव करने के लिए अपने नये सीमा कानून का इस्तेमाल करने से परहेज करना चाहिए।

चीन ने 23 अक्टूबर को नया भूमि सीमा कानून पारित किया है। इस कानून में कहा गया है कि भूमि सीमा मामलों पर चीन दूसरे देशों के साथ हुए या संयुक्त रूप से स्वीकार किए गए समझौतों का पालन करेगा। इसमें सीमावर्ती क्षेत्रों में जिलों के पुनर्गठन के प्रावधान भी हैं। यही भारत के एतराज की प्रमुख वजह है। भारत और चीन ने सीमा संबंधी प्रश्नों का अभी तक समाधान नहीं निकाला है और दोनों पक्षों ने समानता पर आधारित विचार विमर्श के आधार पर निष्पक्ष, व्यावहारिक और एक दूसरे को स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमति व्यक्त की है।

भारत की चिंता वास्तविक नियंत्रण रेखा के लद्दाख सेक्टर में सैन्य गतिरोध की पृष्ठभूमि है। चीन जब-तब इस क्षेत्र में घुसपैठ करता रहता है। सिक्किम में भी वह भारत को गुस्सा दिलाने वाली हरकतें करता रहता है। इन क्षेत्रों में कई बार दोनों देशों के सैनिकों में छिटपुट झड़पें भी हो चुकी हैं। चीन का कानून अगले साल एक जनवरी से प्रभाव में आएगा। माना जा रहा है कि चीन के नये कानून का पड़ोसी देशों पर व्यापक असर पड़ेगा। भारत का कहना है कि कि इस तरह के एकतरफा फैसले से दोनों देशों के बीच परस्पर रिश्तों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अमन और शांति बनाए रखने के लिए कई द्विपक्षीय समझौते, प्रोटोकॉल और व्यवस्थाएं कर चुके हैं। भारत ने उम्मीद जताई है कि चीन इस कानून के बहाने ऐसे कदम उठाने से बचेगा, जो भारत और चीन के बीच सीमा क्षेत्रों में स्थिति को एकतरफा रूप से बदल सकते हैं और तनाव पैदा कर सकते हैं। नया कानून 1963 के चीन-पाकिस्तान ‘सीमा समझौते’ को कोई वैधता प्रदान नहीं करता है, जिसे भारत ने हमेशा अवैध और अमान्य माना है।



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