चीन से गतिरोध जारी
भारत और अड़ियल पड़ोसी चीन के मध्य सीमा विवाद फिलहाल बंद गली में जाकर अटक गया लगता है।
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दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से सैनिकों की वापसी का विवाद थमने की बजाए बढ़ता हुआ ही नजर आ रहा है। साल भर से चल रहे गतिरोध का अंत अभी भी नजर नहीं आ रहा है। दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच बातचीत का ताजा दौर भी बेनतीजा वार्ता के बाद विफल हो गया लगता है।
लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स इलाके में पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 (पीपी 15) पर भारत और चीन की सेनाएं डटी हुई हैं। गतिरोध खत्म करने के लिए दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की वार्ता के 12 दौर हो चुके हैं। 10 अक्टूबर को वार्ता का 13 वां दौर था, लेकिन इसका भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला।
दोनों पक्षों ने वार्ता विफल होने के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया। भारत के अनुसार यथास्थिति को बदलने की चीन की एकतरफा कोशिशें गतिरोध के लिए जिम्मेदार हैं। उधर चीन का तर्क था कि भारत को मौजूदा स्थिति को संजो कर रखना चाहिए। रक्षा मंत्रालय के अनुसार बैठक में भारतीय पक्ष ने बाकी बचे इलाकों के समाधान के लिए रचनात्मक सुझाव दिए, लेकिन चीन ने उन्हें स्वीकार नहीं किया और कोई प्रस्ताव भी नहीं दिया।
इसी क्षेत्र की गलवान घाटी में जून 2020 में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक मुठभेड़ हुई थी। चीनी सेना ने ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’ वाला अंदाज अपनाते हुए भारत की मांगों को अनुचित और अवास्तविक बताया और कहा कि ‘स्थिति का गलत आकलन करने की जगह भारतीय पक्ष को हासिल की हुई स्थिति को संजो कर रखना चाहिए।’ फरवरी में दोनों पक्षों ने पैंगोंग त्सो झील के पास के कुछ इलाकों से अपनी सेनाओं को पीछे ले लेने का निर्णय लिया था।
ऐसा पहली बार हुआ है जब एक-दूसरे पर आरोप लगाने वाले बयान जारी किए गए हैं। पीपी 15 पर एलएसी के पार भातीय इलाके के पास चीनी सेना की एक टुकड़ी तैनात है। भारत का दावा है कि चीन भारत को डेपसांग तराई में अपने ही पांच पेट्रोलिंग बिंदुओं तक नहीं पहुंचने दे रहा है।
अनुमान है कि पूरे इलाके में दोनों सेनाओं के लगभग 50,000 सैनिक तैनात हैं। सेनाध्यक्ष नरवणो हाल ही में चेता चुके हैं कि इलाके में चीन स्थाई निर्माण करेगा तो भारत भी पीछे नहीं रहेगा। इस स्थिति में बदलाव जरूरी है।
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