कोयले का विकल्प खोजें
कोयले की भारी कमी के चलते देशभर में बिजली संकट की आशंका गहराती जा रही है। आधे भारत में जिस तरह से कोयले की कमी बताई जा रही है, वह वाकई चिंता का सबब है।
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राजधानी दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, तमिलनाडु, महाराष्ट्र में कोयले से चलने वाली ताप विद्युत इकाइयों के पास गिने-चुने दिन के लिए कोयले का भंडार है। यही वजह है कि कई राज्यों में बिजली की भारी कटौती की जा रही है। नतीजतन उद्योग धंधों पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
केंद्र सरकार भले यह दलील दे कि कोयले का पर्याप्त भंडार मौजूद है और संकट को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है, किंतु हकीकत में ऐसा नहीं है। कई राज्यों में विद्युत इकाइयों के धीरे-धीरे काम बंद करने से यह आशंका बलवती होती जा रही है कि केंद्र सरकार का दावा गलत है।
खुद केंद्रीय मंत्री का यह कहना कि पहले की तरह कोयले का 17 दिन का स्टॉक नहीं है पर चार दिन का है; सारी कहानी बयां कर देती है। दरअसल, सारा मसला केंद्र सरकार की लापरवाही का है। केंद्र सरकार यह आकलन कर ही नहीं सकी कि कोयले की कमी से बिजली का अभूतपूर्व संकट खड़ा हो सकता है।
मसलन; विदेश से आयात किए जाने वाले कोयले की कीमत में बढ़ोतरी, मानसून के कारण कोयला खदानों में पानी भर जाने से खनन का रुकना, अर्थव्यवस्था में तेजी से मांग बढ़ना और मानसून से पहले पर्याप्त कोयला का स्टाक नहीं करने की वजह से देशभर में अफरातफरी का माहौल है।
हालांकि कोयले की कमी से दिक्कतें सिर्फ भारत में ही नहीं है। यूरोप के कई देश, चीन और लेबनान में कोयले के उत्पादन में भारी कमी के चलते बिजली कटौती की जा रही है। यहां तक कि यूरोप में बिजली 250 फीसद तो गैस 400 फीसद महंगी हो गई है। इन सब आशंकाओं को देखते हुए केंद्र सरकार को फौरी तौर पर उपाय तलाशने होंगे।
सबसे पहले तो कोयले के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करना होगा। साथ ही मांग और आपूर्ति के गणित को समझना होगा। दूरगामी समाधान के लिए कोयले से चलने वाले विद्युत केंद्रों पर निर्भरता को आहिस्ता-आहिस्ता कम करने की कार्ययोजना बनानी होगी।
हो सके तो सौर ऊर्जा के अलावा जल विद्युत, प्राकृतिक गैस, पवन ऊर्जा और परमाणु ऊर्जा तकनीक को बढ़ावा देना होगा। जब तक कोयले पर हमारी निर्भरता रहेगी, न तो बाकी विकल्पों पर काम हो सकेगा न पर्यावरण को शुद्ध किया जा सकेगा। प्रदूषण की एक बड़ी वजह ताप विद्युत संयत्र हैं। लिहाजा सरकार को एक साथ दोनों मोचरे पर काम करना होगा।
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