अमन में खलल
कश्मीर में धीरे-धीरे बनता अमन-चैन का माहौल लगता है आतंक के सौदागरों को रास नहीं आ रहा। आतंकवादियों ने आम लोगों को निशाना बनाने की घटनाएं बढ़ा दी हैं।
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मंगलवार शाम को आतंकवाद की तीन दुस्साहसिक वारदात ने सुरक्षा बलों की चिंता बढ़ा दी है। कश्मीर लौटने की उम्मीद लगाए पंडित भी इनसे सिहर उठे हैं। श्रीनगर और बांदीपोरा में एक से डेढ़ घंटे में हुए तीन अलग आतंकवादी हमलों में तीन नागरिक मारे गए। श्रीनगर में पिछले चार दिनों में इस तरह के कम से कम पांच हमले हो चुके हैं। हमलों में मारे गए लोगों में श्रीनगर के जाने माने दवा विक्रेता माखनलाल बिंद्रू, सड़क किनारे रेहड़ी लगाने वाले वीरेंदर पासवान और एक टैक्सी स्टैंड यूनियन के अध्यक्ष मो. शफी लोन शामिल हैं।
70 साल के बिंद्रू कश्मीरी पंडित थे और श्रीनगर के पुराने निवासी थे। श्रीनगर के इकबाल पार्क इलाके के नामी केमिस्ट थे, उन्हें रघुनाथ मंदिर के पास हरि सिंह हाई स्ट्रीट पर मेडिकल स्टोर में घुसकर मार डाला गया। उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने कश्मीर तब भी नहीं छोड़ा था जब 90 के दशक में कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था और आतंकवादी विशेष रूप से कश्मीरी पंडितों को निशाना बना रहे थे। उनकी दुकान ‘बिंद्रू मेडिकेट’ को आसानी से न मिलने वाली दवाओं की खोज में लगे लोगों की आखिरी उम्मीद माना जाता था।
उनका स्थानीय लोगों में बड़ा सम्मान था। कुछ देर बाद ही अवंतीपोरा में दूसरे हमले में आतंकवादियों ने बिहार के भागलपुर के रहने वीरेंदर पासवान को निशाना बनाया जो इलाके में रेहड़ी लगाते थे। तीसरा हमला श्रीनगर से 70 किमी. दूर बांदीपोरा में हुआ जिसमें स्थानीय टैक्सी स्टैंड यूनियन के अध्यक्ष मो. शफी लोन मारे गए। लगता है कि सुरक्षा बलों की कार्रवाइयों में तमाम आतंकवादियों के मारे जाने के बाद आतंकी बौखलाए हुए हैं और किसी तरह अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं।
इन हमलों को आतंकवाद की नई आहट माना जा रहा है जिसमें नागरिकों पर हमले हो रहे हैं। इस साल अभी तक लगभग 30 लोगों की हत्या आतंकी हमलों में हो चुकी है। देखना है कि प्रशासन इस स्थिति से निपटने के लिए क्या कदम उठाता है। कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का कहना है कि इन हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा और उन्हें कानून के दायरे में लाया जाएगा।
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