प्रदूषण पर प्रहार
प्रदूषण को काबू में करने के लिए केजरीवाल सरकार का विंटर एक्शन प्लान का ऐलान प्रशंसनीय कदम है।
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ज्ञातव्य है कि सर्दियों के मौसम की शुरुआत से ही दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में हवा काफी जहरीली हो जाती है। दिल्ली गैस चेंबर में बदल जाती है। इन्हीं सब दुारियों को देखते हुए दिल्ली सरकार ने 10 बिंदुओं पर जन-अभियान चलाने की रूपरेखा तय की है। साथ ही, पड़ोसी राज्यों से भी इस महत्त्वपूर्ण लड़ाई में साथ देने की गुजारिश की गई है। शीतकालीन कार्ययोजना की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि केजरीवाल सरकार ने निर्माण साइटों पर धूल प्रदूषण को रोकने के लिए 75 और कूड़ा जलाने की घटनाओं पर नजर रखने के लिए 250 टीमें बनाई हैं।
साथ ही, ग्रीन वार रूम को ज्यादा मजबूती देने के लिए शिकागो विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों और पचास पर्यावरण इंजीनियरों के साथ मिलकर प्रोग्राम मैनेजमेंट यूनिट बनाई है। पिछले कुछ महीनों में पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए केजरीवाल सरकार के प्रयासों की सराहना होनी चाहिए। मसलन, किसानों को पराली नहीं जलाने और खेत में बायो डी-कंपोजर स्प्रे का नि:शुल्क छिड़काव करने से काफी मदद मिली है। हालांकि केंद्र सरकार ने भी प्रदूषण के कहर से बचाव के लिए बड़ी आर्थिक सहायता दिल्ली सरकार को उपलब्ध कराई है।
प्रदूषण पर जीत भी तभी मिलेगी जब सभी प्रशासनिक इकाइयां मिलकर काम करेंगी। ठोस और विधिवत रूप से अगर कार्ययोजना बनाई जाए तो सफलता अवश्य मिलती है। ऐसा कुछ-कुछ होता दिख भी रहा है। जैसे, स्मॉग टॉवर लगाए गए हैं, वाहनों को सीएनजी में बदला जा रहा है, चौबीस घंटे बिजली देने के कारण जेनरेटर चलने बंद हो गए हैं, वाहन प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 64 सड़कों की पहचान की गई है आदि। निश्चित तौर पर सरकार के इन प्रभावी कदमों के कारण प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा रहा है।
सरकार के इन प्रयासों की प्रशंसा पर्यावरण विशेषज्ञ भी कर रहे हैं। ग्रीनपीस इंडिया और आईआईटी के प्रोफेसर भी विंटर एक्शन प्लान की सराहना कर रहे हैं। ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार की इन कोशिशों का ठोस और बेहतर परिणाम निकल कर आएगा। हां, यह भी है कि प्रदूषण को हराने के लिए जनता को भी अपने हिस्से की जिम्मेदारी का भार उठाना होगा।
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