समय बताएगा सच
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नये कृषि कानूनों को छोटे और सीमांत किसानों के लिए फायदेमंद बताते हुए कहा है कि किसानों के बीच उनकी जमीन छिन जाने का झूठ फैलाया जा रहा है।
समय बताएगा सच |
प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को महाराजा सुहेलदेव स्मारक एवं झील के विकास कार्य का वचरुअल माध्यम से शिलान्यास करते हुए यह बात कही। उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग विदेशी कंपनियों को बुलाने के लिए कानून बनाते थे, वही आज झूठ बोलकर देश की कंपनियों के नाम लेकर किसानों के बीच भय पैदा करने का काम कर रहे हैं। इससे नये कानूनों से किसानों को हो सकने वाले लाभों को नजरअंदाज किया जा रहा है। कहा कि नये कानूनों के लाभ सामने आने लगे हैं।
छोटे किसान इकट्ठे हो जाएंगे तो उन्हें लाभ होना सुनिश्चित है। छोटे और सीमांत किसानों को लाभ होने की पुष्टि उत्तर प्रदेश में होने भी लगी है। नये कानून लागू होने के बाद से उत्तर प्रदेश के किसानों के अनुभव उनके हालात बेहतर होने के संकेत कर रहे हैं। गौरतलब है कि नये कृषि कानूनों को किसान विरोधी करार देते हुए अनेक किसान संगठन बीते कुछ महीनों से आंदोलनरत हैं।
दिल्ली की सीमाओं पर धरना दिए बैठे हैं। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे कुछ राज्यों में भी किसान लामबंद हैं। गणतंत्र दिवस पर किसानों द्वारा निकाली गई ट्रैक्टर परेड ने दिल्ली में हिंसक रूप अख्तियार कर लिया था। हिंसा में काफी संख्या में पुलिसकर्मी और किसान जख्मी हुए थे। किसानों के साथ सरकार की कई दौर की वार्ताओं के बावजूद आंदोलनरत किसानों को सरकार नये कृषि कानूनों के लाभ समझाने में विफल रही है। इस बीच, सुरक्षा एजेंसियों को किसान आंदोलन की आड़ में राष्ट्र-विरोधी विदेशी ताकतों की सक्रियता का भी पता चला है।
कहा जा रहा है कि ये ताकतें नये कृषि कानूनों को लेकर किसानों में भ्रम फैलाने में जुटी हैं। सरकार भी आंदोलन को दो राज्यों के किसानों का आंदोलन मानकर ज्यादा संजीदगी नहीं दिखा रही। मोदी सरकार और स्वयं प्रधानमंत्री मोदी की बातों से लगता है कि सरकार समय के साथ सच सामने आना तय मान रही है। उसे लगता है कि समय के साथ नये कृषि कानूनों के लाभ किसान खुद से अनुभव करेंगे तो उन्हें साफ हो सकेगा कि उन्हें किस कदर बरगलाया गया है। लेकिन किसी आंदोलन के लंबे तक चलते रहने से स्थितियां हाथ से निकलने का अंदेशा रहता है। सरकार को यह भी भान रहे।
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