कमान के मायने

Last Updated 29 Dec 2020 01:22:51 AM IST

जनता दल (यूनाइटेड) (जद-यू) की रविवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री और पार्टी के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने अध्यक्ष पद छोड़कर सबको चौंका दिया।


कमान के मायने

उन्होंने साये की तरह साथ रहने वाले रामचंद्र प्रसाद सिंह (आरसीपी सिंह) को पार्टी की कमान सौंप दी। यानी पार्टी में नंबर दो कौन है और नीतीश के बाद किसे पार्टी की गद्दी मिलेगी; इस कयासबाजी पर विराम लग गया है। आरसीपी जद-यू के चौथे अध्यक्ष बने हैं।

उनसे पहले इस पद पर जार्ज फर्नाडिस, शरद यादव और नीतीश कुमार थे। ऐसे समय में नीतीश का अध्यक्ष पद छोड़ना यही दर्शाता है कि वह अब पार्टी के प्रचार-प्रसार में ज्यादा जी-जान से जुटने का मन बना चुके हैं। इस बारे में खुद नीतीश ने कहा भी कि वह दो पद पर रहने के कारण पार्टी को पर्याप्त समय नहीं दे पा रहे थे। लिहाजा यह जरूरी था कि पार्टी के संगठनात्मक ताकत में इजाफा किया जाए और राष्ट्रीय स्तर पर इसकी साख और मजबूती बढ़े; इसके लिए किसी और को जद-यू की कमान सौंपना बिल्कुल सही निर्णय है।

बिहार विधानसभा चुनाव के बाद इस बात की बहस तेज हो चली है कि राज्य की सियासत में बड़ा भाई कौन है? चूंकि जद-यू को भाजपा के मुकाबले कम सीटों पर जीत हासिल हुई है तो यह तकरार भी तल्ख है कि क्या जद-यू अब भी बड़े भाई की भूमिका में है। दूसरी अहम बात यह है कि अरुणाचल प्रदेश में जिस तरह से भाजपा ने जद-यू के कुल 7 में से 6 विधायकों को अपने पाले में कर लिया, उससे जद-यू काफी आक्रोशित है। कह सकते हैं कि भाजपा की पूरी कार्यशैली और एक्शन पर जद-यू की पैनी निगाह है। जहां तक बात आरसीपी सिंह की है तो वह बेशक राज्य सभा सांसद हैं, मगर चुनावी लड़ाई में वह कमतर हैं।

वैसे उनकी सांगठनिक क्षमता बेहतरीन है और इसी का फायदा उन्हें मिला भी है। उनके समर्थन में आने वाली दूसरी बात यह है कि वह नीतीश की ही जाति कुर्मी से आते हैं और उनके ही इलाके से भी हैं। कहा जा सकता है कि नीतीश ने कोयरी-कुर्मी वोट बैंक-जोकि उनका बेस वोट बैंक हैं-को बचाने के लिए आरसीपी को अपना उत्तराधिकारी बनाया। इन सब गहमागहमी के बीच राज्य का सियासी पारा भी गरमा गया है। जिस तरह से अरुणाचल की घटना को लेकर जद-यू ने नाराजगी जाहिर की है। साथ ही लव जिहाद को लेकर जद-यू के तीखे तेवर कहीं-न-कहीं गठबंधन धर्म का स्वाद कसैला कर सकते हैं। देखना होगा, अध्यक्ष पद से मुक्त होने के बाद नीतीश का अगला कदम क्या होता है।



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