किसानों को राहत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में फैसला किया गया है कि इस साल साठ लाख टन चीनी का निर्यात किया जाएगा।
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निर्यात के लिए सब्सिडी और आय, दोनों ही किसानों के खातों में सीधे ट्रांसफर की जाएंगी। इससे पांच करोड़ गन्ना किसानों और पांच लाख चीनी मिल कामगारों को फायदा होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने इस फैसले को किसानों के लिए ‘विशेष खुशी का दिन’ बताते हुए कहा है कि पैसा सीधे किसानों के खातों में हस्तांतरित होने से गन्ना किसानों और चीनी मिलों से जुड़े लाखों कामगारों को लाभ मिलेगा। मोदी ने ट्वीट करके अपनी खुशी जताई। दरअसल, इस साल चीनी का उत्पादन ज्यादा होने की संभावना से चीनी मिलों और किसानों के माथों पर लाभकारी दाम मिलने को लेकर उपजे संशय के चलते चिंता की लकीरें उभर आई थीं।
गौरतलब है कि एक आकलन के मुताबिक, इस साल चीनी का उत्पादन साढ़े तीन लाख टन से ज्यादा होगा जबकि खपत ढाई लाख से ज्यादा नहीं होती। ऐसे में अतिरेकी उत्पादन होने से दामों में दबाव आने के अंदेशे ने किसानों और चीनी मिलों के साथ ही कामगारों को भी चिंता में डाला हुआ था। चीनी के दाम गिरने की आशंका के मद्देनजर सरकार ने चीनी के निर्यात का फैसला किया है। इससे गन्ना किसानों को सीधी मदद मिलने के साथ ही चीनी मिलों के लिए भी अपने उत्पादन को लाभप्रद बनाए रखने में आसानी होगी। फैसले के मुताबिक, साठ लाख टन चीनी के निर्यात पर छह हजार रुपये प्रति टन के हिसाब से सब्सिडी दी जाएगी।
इस प्रकार 3,500 करोड़ रुपये की निर्यात सब्सिडी किसानों के खातों में भेजी जाएगी। इतना ही नहीं, पहले से घोषित 5361 करोड़ रुपये की निर्यात सब्सिडी भी एक हफ्ते के भीतर किसानों के खातों में डाली जा रही है। कैबिनेट का यह फैसला ऐसे समय में किया गया है, जब कुछ राज्यों ने बड़े स्तर पर सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन छेड़ा हुआ है। किसान हर सूरत में इन कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं जबकि सरकार किसी भी स्थिति में इन्हें वापस लेने को तैयार नहीं है। अलबत्ता, उसने इतना जरूर कहा कि वह इन कानूनों के उन प्रावधानों को वापस लेने पर विचार कर सकती है, जिन पर किसानों को आपत्ति है। दोनों पक्ष अपनी-अपनी बात पर अड़े हुए हैं। ऐसे में गन्ना किसानों और चीनी उद्योग को इस राहत से सरकार निश्चित ही जतलाने में सफल हुई है कि उसे किसानों की चिंता है।
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