उप्र में ‘आप‘ की दस्तक
दिल्ली फतह करने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) की नजर अब उत्तर प्रदेश पर आकर टिक गई है।
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पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने का आधिकारिक ऐलान कर सियासी पारा चढ़ा दिया है। कुछ दिनों पहले पार्टी ने 2022 में ही होने वाले उत्तराखंड चुनाव में भी उतरने का ऐलान किया है। दरअसल, आम आदमी पार्टी दिल्ली में अपने विकास मॉडल और बड़ी संख्या में दिल्ली में रहने वाले उत्तर प्रदेश के लोगों को आधार बनाकर ताल ठोकने की तैयारी में है। केजरीवाल ने जिस तरह अस्पताल, स्कूल और अन्य सुविधाओं का जिक्र किया है और इसकी तुलना में उत्तर प्रदेश में कुछ भी स्तरीय न होने की बात कही है, साफ है आप पार्टी विकास को आगे रखकर भाजपा और अन्य दलों को टक्कर देने की जुगत में है। हालांकि पार्टी ने सितम्बर में ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी को विस्तार करके अपनी संभावनाओं को पंख देने की ऐलान कर दिया था। यहां तक कि उत्तर प्रदेश की भारत विकास पार्टी सेकुलर का विलय आप में किया गया।
साथ ही राज्य सभा सांसद और उत्तर प्रदेश के प्रभारी संजय सिंह जिस तरह से योगी सरकार के खिलाफ हमलावर थे, उससे ऐसा लग रहा था कि पार्टी यहां अपने पैर जमाने को लेकर धीर-गंभीर है। इससे पहले आप पंजाब में विधानसभा चुनाव लड़ चुकी है, लेकिन पंजाब और उत्तर प्रदेश की राजनीति में काफी अंतर है। पंजाब में जहां दो दलीय व्यवस्था है वहीं उत्तर प्रदेश में भाजपा, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, बसपा के अलावा कई और छोटे-छोटे क्षेत्रीय और जाति आधारित सियासी पार्टियां हैं। इस नाते वहां वह कितनी सफल हो पाती है, यह देखना दिलचस्प होगा। हां, मुफ्त बिजली, पानी का मसला जरूर उत्तर प्रदेश में मौजूद राजनीतिक दलों के लिए परेशानी का सबब हो सकती है। स्वाभाविक रूप से राजनीति करने वाली हर पार्टियां अपनी पार्टी के फलक का विस्तार देखना चाहती है। कई क्षेत्रीय दलों ने दूसरे राज्यों में अपनी धमक भी जमाई है। इस नाते आम आदमी पार्टी का ऐसा ही कुछ सोचना कहीं से भी गलत नहीं कहा जाएगा। 2014 के बाद यह आप का सबसे बड़ा चुनाव होगा, जब पार्टी ने देशभर में 400 से ज्यादा उम्मीदवार खड़े किए थे। वैसे पार्टी को गोवा और हरियाणा में उम्मीद से कम वोट मिले, इसके बावजूद अगर पार्टी देश के सबसे बड़े सूबे में ‘झाड़ू’ चलाना चाहती है तो यह कदम उसके लिए निश्चित तौर पर अहम होगा।
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