बढ़ते कदम
कोरोना महामारी के खिलाफ दुनिया की लड़ाई अब अपने मुकाम पर पहुंचने वाली है।
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ब्रिटेन के बाद अब अमेरिका में कोरोना वायरस का टीका लगने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके पहले अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने फाइजर/बायोएनटेक वैक्सीन को आपातकालीन स्थिति में टीका लगाने के लिए इजाजत दी थी। अगले साल अप्रैल महीने तक करीब 10 करोड़ लोगों को अमेरिका में टीका लगाने का लक्ष्य है। यह उस अमेरिका के लिए एक सौगात है, जहां दुनिया में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीज हैं।
यही नहीं, कोरोना से सबसे ज्यादा लोग अमेरिका में ही मरे हैं। इस आधार पर अमेरिका में टीकाकरण अभियान की व्यापकता का औचित्य समझा जा सकता है। ऐसी स्थिति में अब भारत में भी कोरोना टीके को लेकर कौतूहल बढ़ गया है। इस बीच केंद्र सरकार ने कोरोना टीके को लेकर राज्यों को दिशा-निर्देश जारी कर दिया है, जिसमें यह बताया गया है कि कैसे और कहां टीका लगाया जाएगा। इस टीकाकरण अभियान के तहत पहले चरण में 30 करोड़ लोगों को शामिल किया जाएगा।
स्वास्थ्यकर्मी, फ्रंटलाइन वर्कर्स, 50 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्तियों के अलावा अन्य बीमारियों से जूझ रहे इससे कम उम्र के लोगों को टीका दिया जाएगा। हालांकि दिशा-निर्देश में टीकाकरण की विस्तृत प्रक्रिया बताई गई है, लेकिन भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश के लिए इसका क्रियान्वयन एक चुनौती भरा कार्य होगा। लोग टीकाकरण की प्रगति और उसके लाभ के बारे में जानना चाहेंगे। ऐसे में उन्हें समय पर सटीक जानकारी देने की जरूरत होगी। लेकिन इन सबसे परे कुछ बुनियादी चुनौतियां भी हैं।
अगर एक अच्छे टीके के निर्माण की बात छोड़ भी दी जाए, तो टीके के स्टोर एवं वितरण की दिक्कतों के अलावा यह भी चिंता प्रकट की जाती रही है कि देश के पास सभी उम्र के लोगों के टीकाकरण का अनुभव नहीं है। ऐसे में दुनिया की नजर भारत पर होगी और भारत को यह दिखाने का अवसर होगा कि वह ऐसी चुनौतियों से कुशलता से निपट सकता है। इस मुश्किल घड़ी में कोई नहीं चाहेगा कि टीके पर राजनीति हो। अभी तक देश ने कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में जिस धैर्य और अनुशासन का परिचय दिया है, उम्मीद है कि वह इस अभियान में भी सहायक होगा। जरूरत है समय से पहले तैयारी करने की, ताकि सामान्य स्थिति जल्द से बहाल हो सके।
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