अनादर ठीक नहीं
भारत में नए कृषि कानूनों के मुद्दे पर जारी किसान आंदोलन को लेकर अमेरिका और ब्रिटेन में सक्रिय पृथकतावादी खालिस्तानी तत्व प्रधानमंत्री मोदी ही नहीं, बल्कि भारत के राष्ट्रनायक महात्मा गांधी का अपमान करने पर आमादा हो गए हैं।
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ताजा घटना अमेरिका की है, जहां खालिस्तानी पृथकतावादी तत्वों ने भारतीय दूतावास के बाहर स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनादर किया। इस अप्रिय घटना की चाहे कितनी भी निंदा की जाए, कम है।
जाहिर है ऐसे तत्व किसान आंदोलन का समर्थन के नाम पर अपना अलगाववादी एजेंडा चलाने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले दिनों ब्रिटेन की राजधानी लंदन में भी भारतीय उच्चायोग के सामने सिख फॉर जस्टिस से जुड़े खालिस्तानी संगठन के सदस्यों ने किसान आंदोलन का समर्थन करने के लिए विरोध प्रदर्शन किया था। इस दौरान खालिस्तानी झंडा भी फहराया गया था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने देश विरोधी गतिविधियों में हिस्सा लेने के आरोप में सोलह खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है।
ब्रिटेन और अमेरिका में खालिस्तान समर्थक तत्वों ने जो कुछ किया, उससे जाहिर होता है कि किसान आंदोलन में अलगाववादी और असामाजिक तत्वों की घुसपैठ होने लगी है, जिसकी ओर केंद्र सरकार ने भी इशारा किया है। भारत इन पृथकतावादी तत्वों को कभी भी बर्दाश्त नहीं करेगा। वास्तव में पिछले कुछ वर्षो के दौरान भारत की घरेलू राजनीति, समाज व्यवस्था और अर्थ नीति में प्रवासी भारतीयों की दिलचस्पी बढ़ने लगी है। जबसे भारत के राजनीतिक-आर्थिक कद में इजाफा हुआ है, तबसे प्रवासी भारतीय भारत के साथ अपने को मजबूती के साथ संबद्ध करने लगे हैं।
हालांकि प्रवासी भारतीयों की भारत की घरेलू राजनीति में दिलचस्पी के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू हैं। ब्रिटेन और अमेरिका की हाल की घटनाएं नकारात्मक श्रेणी की हैं। दूसरी ओर भारत के लोग ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा की घरेलू राजनीति को भी प्रभावित कर रहे हैं। जाहिर है कि अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा की सरकारें अपनी घरेलू राजनीति और राष्ट्रीय हितों को देखते हुए ऐसे नकारात्मक तत्वों के विरुद्ध कार्रवाई करने से बचने की कोशिश करें। लेकिन वास्तविक अथरे में ये देश भारत को अगर अपना मित्र मानते हैं, तो उन्हें इन तत्वों पर लगाम लगानी चाहिए।
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