राज्यों की आय घटी
चालू वित्त वर्ष में नवम्बर माह लगातार दूसरा महीना रहा जब माल एवं सेवा कर संग्रह (जीएसटी) का आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है।
राज्यों की आय घटी |
वित्त मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, नवम्बर महीने में यह 1.04 लाख करोड़ रहा। हालांकि अक्टूबर महीने की तुलना में इसमें मामूली कमी हुई है, लेकिन पिछले वर्ष के नवम्बर महीने की तुलना में जरूर यह 1.4 प्रतिशत ज्यादा है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष नवम्बर महीने में जीएसटी संग्रह 1.03.491 करोड़ रुपये रहा था।
गौरतलब है कि जीएसटी संग्रह में कमी रहने से राज्यों के राजस्व में कमी आ जाती है। उस पर कोरोना के चलते लगाए गए लॉकडाउन के बाद बढ़े खचरे से राज्य अभी तक उबर नहीं सके हैं। जीएसटी संग्रह में बढ़ोतरी या कमी से बाजार में खरीद-फरोख्त की पुख्तगी का भी पता चलता है। जिस तरह केंद्र सरकार ने पैकेज देकर लोगों के हाथ में पैसा पहुंचाया, उससे त्योहारी सीजन में खरीद-फरोख्त की गतिविधियां बढ़ने से जीएसटी संग्रह में बढ़ोतरी दर्ज हुई। लेकिन चिंता अभी भी बनी हुई है। क्रिसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य लॉकडाउन के चलते राजस्व संग्रह में आई कमी का सामना कर रहे हैं।
राज्यों की स्थिति में अपेक्षित सुधार नहीं आ रहा है। उनकी उधारी चालू वित्त वर्ष में रिकॉर्ड 36 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 68 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने की संभावना है। क्रिसिल की यह रिपोर्ट देश के शीर्ष 18 राज्यों के वित्तीय हालात पर आधारित है। इन राज्यों में दिल्ली और गोवा जैसे राज्य भी शामिल हैं। ये सभी राज्य मिलकर सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का करीब 90 प्रतिशत हिस्सा रखते हैं। इन राज्यों के राजस्व में कमी के मद्देनजर इनके आर्थिक प्रदर्शन में दो-चार प्रतिशत तक की गिरावट आने की आशंका है। कहना न होगा कि जीएसटी संग्रह में कमी और लॉकडाउन के बाद बढ़े खचरे से राज्यों के सामने जटिल हालात पैदा कर दिए हैं।
इस कदर की उनकी आय में 15 फीसद तक की गिरावट आ चुकी है, जिससे उनकी उधारी में 36 फीसद तक की बढ़ोतरी हुई है यानी इसके मौजूदा 58 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 68 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर जा पहुंचने का अनुमान है। यह इस दशक का सबसे उच्च स्तर है। दरअसल, कोरोना महामारी ने कारोबारी विश्वास को जो झटका दिया है, उससे अभी तक उबरा नहीं जा सका है। यकीनन आने वाले समय में हालात बेहतर होंगे।
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