नहीं चलेगा पटाखा
दिल्ली सरकार के बाद अब राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में सोमवार मध्यरात्रि से 30 नवम्बर तक पटाखों के इस्तेमाल और बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है।
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नि:संदेह एनजीटी और सरकार का यह फैसला स्वागतयोग्य है। जिस तरह से दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण की बदतर स्थिति से हर कोई हलकान है, उससे निपटने और उबरने का सबसे बेहतर उपाय यही है कि ऐसी किसी भी गतिविधियों पर विराम लगाया जाए जो प्रदूषण फैलाने में मददगार बने।
पटाखों से प्रदूषण न केवल बढ़ता है बल्कि यह तात्कालिक तौर पर कई रोगों का संवाहक भी बनता है। ओडिशा, राजस्थान, सिक्किम, केंद्र शासित क्षेत्र चंडीगढ़, और कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पहले ही संबंधित राज्यों व शहरों में पटाखों के इस्तेमाल और उसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। यानी इन जगहों पर भी प्रदूषण और कोरोना की दोहरी मार से बचने के उपाय तलाशे गए हैं और इस तरह का सख्त फैसला लिया गया है।
एनजीटी का यह बयान भी हालात की गंभीरता को बयां करने के लिए काफी है कि, ‘पटाखे खुशियां मनाने के लिए है, न कि बीमारी और मूल्य का उत्सव मनाने के लिए।’ पटाखों में कॉपर, कैडियम, लेड, मैग्नेशियम, सोडियम,जिक, नाइट्रेट एवं नाइट्राइट जैसे घातक रसायन मिले होते हैं। जाहिर है इनसे बेहद खतरनाक बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। हां, ग्रीन पटाखों को चलाने की अनुमति जो पहले दी गई थी, उसे जारी रखने से लोगों की भावनाएं भी आहत नहीं होंगी। आमजन को भी यह समझना होगा कि पर्व-त्योहार मनाने से ज्यादा पर्यावरण की शुद्धता ज्यादा महत्त्वपूर्ण है।
जनता को यह भी समझने की जरूरत है कि अभी के हालात कोरोना की वजह से ज्यादा चिंताजनक बने हुए हैं। अगर पटाखा चलाने की इजाजत मिलेगी तो लोग भावनाओं के वशीभूत हो, प्रदूषण की विभीषिका के बारे में नहीं सोचेंगे। इस नाते सभी लोगों को इस फैसले का सम्मान करना चाहिए। वैसे भी सिर्फ इसी बार इस तरह के निर्णय लिये गए हैं। अगर हालात बेहतर हुए और सबके सम्मिलित प्रयासों से हालात बेहतर हुए तो सरकार और प्राधिकरण ग्रीन पटाखों को चलाने की इजाजत जरूर देगी। हां, सरकार को भी पटाखों की बिक्री पर पैनी नजर रखनी होगी। जब तक एजेंसियां सख्त रहेंगी, लोग सुकून की सांस लेंगे। अगर कहीं से भी लापरवाही होगी तो नुकसान हर किसी का होगा।
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