मनमर्जी से अपयश
राष्ट्रपति की मंजूरी से दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश त्यागी को निलंबित कर दिया गया है।
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प्रो वाइस चांसलर पीसी जोशी को कार्यवाहक कुलपति का कार्यभार सौंपा गया है। शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी इस बाबत आदेश में कहा गया है कि प्रो. त्यागी ने पद पर रहते हुए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया। कार्य के प्रति समर्पण भाव नहीं रखा और बार-बार मना करने के बाद भी अवकाश पर होने के बावजूद नियुक्तियां कीं। मजे की बात यह कि मनमर्जी की नियुक्तियां करने से पहले अपने कार्यकाल के दौरान प्रो वाइस चांसलर, रजिस्ट्रार, फाइनेंस ऑफिसर एंड ट्रेजरर, कंट्रोलर ऑफ एक्जामिनेशन, लाइब्रेरियन, कॉलेजों के डीन, साउथ कैम्पस के डायरेक्टर, कॉलेजों के प्राचायरे के पदों को भरने में उन्होंने हद दरजे की शिथिलता बरती। न केवल इतना, बल्कि संचालन समितियों का भी गठन नहीं किया।
मार्च, 2016 में कुलपति के पद पर नियुक्त हुए प्रो. त्यागी का कार्यकाल मार्च, 2021 तक शेष है। लेकिन उनकी कार्यशैली से शिक्षा मंत्रालय इस कदर खिन्न हो गया कि उसने उन्हें निलंबित करने की सिफारिश कर दी। न केवल शिक्षा मंत्रालय, बल्कि शिक्षकों और कर्मचारियों में भी उनकी कार्यशैली को लेकर रोष व्याप गया था। जुन, 2019 में भी ऐसी स्थिति आई थी, जब शिक्षक संगठनों ने सड़क पर उतरकर प्रो. त्यागी को कुलपति के पद से हटाने की मांग की थी। शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित एक समिति अब उनके कामकाज की जांच करेगी। समिति की रिपोर्ट आने तक उन्हें निलंबित रखा जाएगा। दरअसल, प्रो. त्यागी नियुक्तियों को लेकर जिस तरह से मनमानी कर रहे थे, उसे देखते हुए उनके कामकाज की जांच जरूरी हो गई थी।
जांच को प्रभावित नहीं करने पाएं इसके लिए इसलिए उनका निलंबन जरूरी हो गया था। दिल्ली विश्वविद्यालय के 98 वर्ष के इतिहास में पहली बार है जब किसी कुलपति को निलंबित किया गया है। हालांकि जब प्रो. दिनेश सिंह कुलपति थे तो चार वर्षीय स्नातक पाठय़क्रम को लेकर उनका मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ सीधा टकराव हो गया था। बाद में पाठय़क्रम वापस हो गया और उनके निलंबन की नौबत नहीं आई। कई कुलपतियों ने मंत्रालय से असहमति होने पर इस्तीफे जरूर दिए लेकिन उन्हें निलंबित नहीं होना पड़ा पर प्रो. त्यागी ने हठधर्मिता दिखाकर अपने नाम के साथ अपयश जोड़ लिया है।
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