चुनौतियां बरकरार

Last Updated 15 Sep 2020 03:08:31 AM IST

देश में कोरोना विषाणु संक्रमण के मामले 48 लाख पार कर गए, लेकिन राहत की बात यह है कि महामारी से मरने वालों की दर में गिरावट आई है तथा यह घटकर 1.65 फीसद रह गई है।


चुनौतियां बरकरार

इस महामारी पर देर-सबेर नियंत्रण पा लिया जाएगा, लेकिन इसका सर्वाधिक चिंताजनक पक्ष यह है कि कोरोना का नकारात्मक असर भारत सहित अन्य पिछड़े देशों में वर्षो तक बना रहेगा। यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि भारत ही नहीं पूरी दुनिया में गरीबी और बेरोजगारी अभी और बढ़ेगी।

करीब दो सप्ताह पूर्व सरकार ने विकास दर से संबंधित जो आंकड़े जारी किए थे, उसमें साफ तौर पर संकेत दिए थे कि देश की अर्थव्यवस्था पर इस महामारी का प्रत्यक्ष असर पड़ा है। करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गई हैं। इस कारण बेरोजगारी पहले से ज्यादा बढ़ गई है। देश में कठोरता के साथ लागू किए गए लॉकडाउन का ही यह नतीजा है कि आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह लड़खड़ा गई हैं। होटल, पर्यटन, कल-कारखाने और परिवहन जैसे क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति चौपट हो गई है। चालू वित्त वर्ष के पहली तिमाही के दौरान देश के जीडीपी में 23.9 फीसद की गिरावट आई है।

हालांकि मुख्य आर्थिक सलाहकार के.वी. सुब्रह्मण्यम ने विश्वास प्रकट किया है कि लॉकडाउन में ढील के बाद आगामी कुछ दिनों में आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, लेकिन दुकानें खुलने के बावजूद अभी भी लोग घरों से बाहर बहुत कम निकल रहे हैं। करोड़ों लोगों की नौकरियां जाने के कारण उनकी क्रय शक्ति खत्म हो गई है। ऐसे में बाजार की रौनक लौट नहीं पा रही है। हालांकि सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को गति देने की हरसंभव प्रयास जारी है। बावजूद इसके कारोबारियों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। भारत के लिए कोरोना महामारी दोहरी मुसीबत बनकर सामने खड़ा है। कहते हैं कि ‘एक तो करेला, ऊपर से नीम चढ़ा’।

मतलब यह कि कोरोना के पहले ही भारत की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई थी। कोरोना ने तो लड़खड़ाती हुई अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार दिया। वास्तविकता यह है कि विश्व के समृद्ध देश आर्थिक मंदी के दौर से बहुत जल्द बाहर निकल आएंगे, लेकिन भारत जैसे गरीब देशों को कोरोना की मंदी से बाहर आने में समय लगेगा। कोरोना के विरुद्ध जारी जंग के बीच स्वास्थ्य मंत्री हषर्वर्धन ने घोषणा की है कि अगले वर्ष की पहली तिमाही में कोरोना का वैक्सीन बाजार में आ सकती है। अपेक्षा की जाती है कि आने वाला वक्त भारत सहित दुनियाभर के लिए बेहतर होगा।



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