जन चेतना का भी असर

Last Updated 16 Sep 2020 12:43:55 AM IST

कोरोना विषाणु से संबंधित यह खबर देशवासियों के लिए राहत और सुकून देने वाली है कि भारत दुनिया का ऐसा देश बन गया है, जहां इस महामारी से सबसे अधिक मरीज स्वस्थ होकर अपने घर लौट आए हैं।




जन चेतना का भी असर

अमेरिका के जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय ने यह आंकड़ा जारी किया है। आंकड़ों के मुताबिक भारत में अब तक 37, 80,107 कोरोना के मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं, जबकि ब्राजील में 37,23,206 और अमेरिका में 24,51, 406 लोग कोरोना के संक्रमण से उबर चुके हैं। इस तरह भारत लैटिन अमेरिकी देश ब्राजील को पीछे छोड़कर पहले पायदान पर पहुंच गया है। जाहिर है भारत जैसे बड़ी आबादी वाले विकासशील देश के लिए यह बड़ी उपलिब्ध है।

खासकर तब जब देश की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस उपलब्धि का श्रेय किसे दिया जाना चाहिए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हषर्वर्धन का विश्वास है कि केंद्र सरकार ने देशभर में सही समय पर लॉकडाउन लगाने का निर्णय लिया जिसके कारण करीब 14-29 लाख मामलों को रोकने और 37-38 हजार लोगों को मौत से बचाने में मदद मिली।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के कथन से सहमति जताते हुए इस बात को आगे बढ़ाते हुए कहा जा सकता है कि इस उपलब्धि में केवल लॉकडाउन का ही योगदान नहीं है, बल्कि और भी अन्य कारक हैं जिनकी चर्चा होनी चाहिए। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि स्वास्थ्यकर्मियों और सफाईकर्मियों ने विपरीत परिस्थितियों में कोरोना के विरुद्ध जंग में जिस तरह के हौसले का प्रदर्शन किया है, वह कम सराहनीय नहीं है। इसी के साथ सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर महामारी से बचने के लिए आवश्यक सावधानियों और नियमों का प्रचार-प्रसार किया गया।

इसी वजह से इस नई महामारी के बारे में सुदूर तलहटी के गांवों तक मास्क, सैनिटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाने लगा है। इसलिए महामारी की रोकथाम में इस जन चेतना की भूमिका को कोई कैसे नकार सकता है? वास्तविकता तो यह है कि लॉकडाउन के प्रारंभिक दिनों में श्रमिकों के सामूहिक पलायन के जो दृश्य सामने आए थे, वे बेहद मार्मिक और विचलित करने वाले थे। इसमें सरकार और प्रशासन की भारी अदूरदर्शिता दिखाई दी थी। आम नागरिकों के समर्थन से ही लॉकडाउन सफल हो पाया था।



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