प्याले में तूफान

Last Updated 11 Sep 2020 02:21:09 AM IST

इस बार कंगना रनौत ने प्याले में तूफान पैदा कर दिया है। आसानी से नजरअंदाज कर दी जाने वाली कोई घटना या बात भारत की बेहूदा राजनीति में ही इतना तूल पकड़ सकती है और एक अदना सी लड़की महाराष्ट्र की अस्मिता को चुनौती बनती हुई दिखाई दे सकती है।


प्याले में तूफान

कंगना शुरू से ही अपने जुझारूपन और बड़बोलेपन के लिए जानी जाती रही हैं। जो भी उन्हें अच्छा नहीं लगता या जिनके प्रति उनकी नाराजगी होती है या जो उन्हें दबाने की कोशिश करते हैं; उनके विरुद्ध वह एकदम लड़ाकू मुद्रा में आ जाती हैं।

सुशांत सिंह राजपूत के मामले में भी उन्होंने कुछ अतिरेकपूर्ण बयान दे डाले जिन पर एक वर्ग में तीखी प्रतिक्रिया हुई। सबसे अधिक असंतुलित प्रतिक्रिया शिवसेना और उसकी सरकार ने प्रकट की। बीएमसी द्वारा कंगना के कार्यालय को जिस तरह से ध्वस्त किया गया और शिवसेना के प्रवक्ताओं और नेताओं द्वारा जिस तरह के बयान दिए गए, उन्होंने देखते-ही-देखते एक सामान्य सी अभिनेत्री को विराट व्यक्तित्व में बदल डाला। शिवसेना द्वारा जो किया गया और कंगना के बारे में जो कहा गया, उसने शिवसेना की राजनीतिक अपरिपक्वता को ही उजागर किया।

शिवसेना आगे कंगना के प्रति जितना आक्रामक होगी कंगना शिवसेना के विरोध की उतनी ही बड़ी प्रतीक बनती जाएंगी। यह स्पष्टत: दिखाई दे रहा है कि भाजपा कंगना के अपरोक्ष समर्थन में है। जो भाषा शिवसेना के विरोध में भाजपा बोलना चाहती थी, लेकिन बोल नहीं पा रही थी; वह कटु भाषा अब कंगना के मुंह से निकल रही है। अगर पिछली कुछ घटनाओं के आधार पर कंगना के स्वभाव को लेकर कहा जाए तो वह न तो झुकेंगी और न माफी मांगेंगी। मतलब अब वह अभी लंबे समय तक शिवसेना की नींद हराम किए रहेंगी।

बेहतर यही होगा कि शिवसेना उन्हें उनके हाल पर छोड़ दे और अनावश्यक रूप से उनके विरुद्ध करनी या अनकरनी कार्रवाइयां करके उन्हें अपने विरोध का मजबूत स्तंभ न बनाए। अन्यथा व्यक्तिगत रूप से कंगना का बहुत कम बिगड़ेगा लेकिन राजनीतिक रूप से शिवसेना बहुत कुछ खो बैठेगी। कंगना का आत्मविश्वास और बॉडी लैंग्वेज बताता है कि उनके पीछे राजनीतिक दलों और कुछ सामाजिक और जातीय संगठनों का समर्थन है। इसलिए शिवसेना को यदि अपनी साख बचानी है, तो बेहतर होगा कि वह इस मामले में अब चुप्पी साध ले।



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