कूटनीतिक बढ़त

Last Updated 08 Sep 2020 12:35:37 AM IST

मास्को से स्वदेश लौटने के क्रम में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का ईरान जाना कूटनीति के लिहाज से बेहतरीन कदम माना जाएगा।


कूटनीतिक बढ़त

दरअसल, मास्को से लौटते हुए रक्षा मंत्री सिंह ने अचानक ईरान पहुंचकर भारत से उसके द्विपक्षीय रिश्तों की गर्माहट को बढ़ा दिया। राजनाथ ने इस दौरान वहां के रक्षा मंत्री ब्रिगेडियर जनरल आमिर हातमी से कई अहम मसलों पर बातचीत की। स्वाभाविक तौर पर इस मुलाकात से चीन और पाकिस्तान की भौहें तनी होगी, मगर कूटनीति का तकाजा यही कहता है कि अपने मित्र देशों से निरंतर संवाद बनाए रखा जाना चाहिए। क्योंकि संवाद से ही रिश्तों को नये अर्थ हासिल होते हैं। ईरान वैसे भी हमारा काफी पुराना मित्र रहा है। भारत-ईरान के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक, भाषाई और सभ्यताओं के जुड़ाव रहे हैं। कई मामलों में ईरान ने भारत का पुरजोर समर्थन भी किया है, जिसे भारत भुला नहीं सकता। हां, बीच के कुछ वर्षो में तेहरान से नई दिल्ली के संबंध जरूर कसैले रहे, मगर अब हालात काफी बेहतर हैं। गौरतलब है कि अमेरिका के साथ बेहद खराब हुए रिश्तों और आर्थिक प्रतिबंधों के बाद कुछ समय पूर्व ईरान ने अपने रणनीतिक व कारोबारी हित के लिए चीन के साथ सहयोग के रास्ते पर बढ़ने की घोषणा की थी।

वैसे में राजनाथ का ईरान की यात्रा करना और अफगानिस्तान के सुरक्षा हालात और फारस की खाड़ी की सुरक्षा चुनौतियां से जुड़े महत्त्वपूर्ण मसलों पर चर्चा करना बेहद समझदारी भरा कदम माना जाएगा। राजनाथ की ईरान यात्रा भले बेहद संक्षिप्त हो, किंतु चीन के साथ ईरान की कारोबारी नजदीकियों को देखते हुए भारत को रणनीति बनानी ही चाहिए। और भारत ने ऐसा किया। खास बात यह है कि राजनाथ की यह मुलाकात ईरानी रक्षा मंत्री के विशेष आग्रह पर हुई। यानी ईरान भी यह जानता और समझता है कि भारत का उसके लिए क्या और कितना महत्त्व है? अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते ईरान पिछले कई वर्षो से भारी दुारियां झेल रहा है। निश्चित रूप से भारत को अमेरिका और ईरान के बीच संतुलन साधने की जरूरत है। चूंकि कुछ वर्ष पहले तक ईरान भारत को तेल आपूर्ति करने वाले शीर्ष के तीन देशों में शामिल है, लिहाजा भारत को ईरान से संबंध बेहतर रखने ही होंगे। सो, ईरान और भारत के बीच रणनीतिक और राजनीतिक संबंध निहायत जरूरी हैं।



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