कराची ही है ठिकाना
पाकिस्तान जिस बात को वर्षो से छिपाता रहा है, अंतत: उसे दुनिया के सामने सच्चाई स्वीकार करनी पड़ी।
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पाकिस्तान को यह पहली बार मानना पड़ा है कि अंडर्वल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम उसके देश में कराची में मौजूद है। यह वही दाऊद इब्राहिम है, जो मुंबई में 1993 में हुए बम धमाकों में वांछित है। भारत ने दाऊद को 2003 में वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया था। इसके बावजूद पाकिस्तान अपने देश में उसकी मौजूदगी स्वीकार करने को तैयार नहीं था।
अब जब उसने अपने देश में दाऊद की मौजूदगी स्वीकार की है, तो यह उसकी किसी ईमानदारी का परिचायक नहीं है। पाकिस्तान ने वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) द्वारा काली सूची में डाले जाने से बचने के लिए यह प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की है, जिसकी बैठक सितम्बर-अक्टूबर में होने वाली है। इसके तहत न केवल दाऊद बल्कि हाफिज सईद, अजहर मसूद, जकीउर रहमान लखवी जैसे 88 आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा करनी पड़ी है।
पाकिस्तान सरकार की आधिकारिक घोषणा से यह स्पष्ट हो गया है कि दाऊद पाकिस्तान में इतने वर्षो से पनाह लिये हुए था। इस पहल से पाकिस्तान भले ही एफएटीएफ की कार्रवाई से तत्काल बच जाए, लेकिन इससे यह बात और पुख्ता हो गई है कि वह आतंकवादियों की शरणस्थली है। नतीजतन दाउऊद को भारत के हवाले करने और पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करने की मांग तेज हो सकती है। ध्यातव्य है कि पाकिस्तान ने दाऊद को राष्टीय आतंकी सूची में नहीं डाला है, बल्कि संयुक्त राष्ट सुरक्षा परिषद द्वारा जारी सूची के आधार पर यह अधिसूचना जारी की है।
आतंकवाद के वित्तपोषण पर निगरानी रखने वाली संस्था एफएटीएफ ने पाकिस्तान को 2018 में ग्रे लिस्ट में डाला था और उससे 2019 के अंत तक कार्ययोजना लागू करने को कहा था, लेकिन कोरोना संकट के कारण यह समय सीमा बढ़ा दी गई थी। इसी परिप्रेक्ष्य में पाकिस्तान ने यह घोषणा की है। अभी वह कार्ययोजना के 27 बिन्दुओं में से करीब आधे को ही पूरा कर पाया है। माना जा सकता है कि पाकिस्तान आतंक के वित्तपोषण पर नियंत्रण रखने के प्रति गंभीर नहीं है। आतंकियों के साथ सेना के मधुर रिश्तों के कारण पाक आतंकियों का स्वर्ग बना रहेगा। अब एफएटीएफ कसौटी पर होगा।
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