परिवर्तनकारी फैसला
केंद्र सरकार ने अभूतपूर्व कदम उठाते हुए बुधवार को युवाओं के हक में महत्त्वपूर्ण और एतिहासिक फैसला लिया।
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युवाओं की बरसों पुरानी मांग थी कि उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद सरकारी नियुक्तियां नहीं मिल पाती हैं। उम्मीदवारों को भिन्न-भिन्न भर्ती एजेंसियों को शुल्क का भुगतान करना पड़ता है और इन परीक्षाओं में भाग लेने के लिए लंबी दूरियां तय करनी पड़ती हैं। इन अलग-अलग भर्ती परीक्षाओं से उम्मीदवारों के साथ-साथ संबंधित भर्ती एजेंसियों पर भी बोझ पड़ता है। इसमें बार-बार होने वाले खर्च, कानून और व्यवस्था/सुरक्षा संबंधी मुद्दे और परीक्षा केंद्रों संबंधी समस्याएं शामिल हैं। अब सरकार ने युवाओं की इस बहुप्रतीक्षित मांग को पूरा करने की दिशा में बड़ी पहल की है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सरकारी नौकरियों में भर्ती को लेकर राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए) का गठन करने का ऐलान किया है। यह बहु एजेंसी निकाय के रूप में समूह ‘ख’ और ‘ग’ (गैर-तकनीकी) पदों के लिए उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग करने के लिए सामान्य योग्यता परीक्षा (सीईटी) आयोजित करेगी। इससे निश्चित तौर पर देश के करीब 3 करोड़ युवाओं को फायदा मिलेगा। अब राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी के गठन से युवाओं को एसएससी, आरआरबी और आईबीपीएस की अलग-अलग परीक्षाओं से छुटकारा मिलेगा और केवल एक ही परीक्षा सीईटी देनी होगी। मगर सरकार को यह भी देखना होगा कि परीक्षा निर्धारित समय पर हों।
साथ ही, परीक्षा के परिणाम भी तय समय में निकाले जाएं। पहले यह शिकायत बहुतायत में पाई गई कि परीक्षा तो समय पर ले ली गई मगर उसके परिणाम आने में काफी लंबा वक्त लिया गया। अगर इस बिंदु पर भी सरकार के स्तर पर कोई ऐलान किया जाता या कारगर कदम उठाने की बात होती तो बेहतर होता। अंतिम चरण के कई परिणाम अदालती कार्रवाई में फंसे हुए हैं। अगर सरकार उस बारे में भी निर्णय ले तो कइयों की उम्मीद जगेगी। वहीं सीईटी के परीक्षा पैटर्न या पाठ्य़क्रम को लेकर भी छात्रों में असमंजस की स्थिति है। इसे जितनी जल्दी दूर किया जाए, उतना ही अच्छा होगा। लेकिन इतना तो तय है कि राष्ट्रीय स्तर पर भर्ती प्रक्रिया से छात्रों के साथ उनके घरवालों की भी चिंताएं दूर होंगी। नि:संदेह, भर्ती एजेंसी की स्थापना का निर्णय मील का पत्थर साबित होगा।
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