महामारी में अवसर
दुनिया भर की अर्थव्यवस्था कोरोना संकट से बुरी तरह लड़खड़ा रही हैं। तमाम देश इससे उबरने की कवायद में जुटे हैं।
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फिलहाल ऐसा कोई कारगर हथियार नजर नहीं आ रहा जिससे इस दानव रूपी कोरोना का विनाश कर सकें। जाहिर है इस महामारी के भय के साये में कब तक जीना होगा। इस बारे में पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। उम्मीद जरूर कर सकते हैं कि एक दिन यह संकट भी दूर हो ही जाएगा। फिलहाल तो इसी के साये में ऐसी संभावनाएं तलाशनी होंगी कि कोरोना के असर को कम करके पटरी से उतरी अर्थव्यवस्था को कैसे उबारा जाए? वैसे भी किसी भी अच्छे कार्य की शुरुआत के लिए कोई भी समय खराब नहीं होता।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंडिया आइडियाज समिट के संबोधन में इसी कहावत को चरितार्थ करने का प्रयास किया है। वैश्विक उद्यमियों का हौसला बढ़ाते हुए मोदी ने यही समझाने की कोशिश की है कि भारत में निवेश के लिए यही सबसे बढ़िया अवसर है। इसकी ठोस वजह यह है कि भारत आर्थिक सुधारों की गाड़ी को तेजी से आगे बढ़ा रहा है। इसी के बूते सरकार कोरोना महामारी के दरम्यान भी 20 अरब डॉलर की एफडीआई हासिल करने में सफल रही है। प्रधानमंत्री ने दावा किया कि भारत की प्रगति का अर्थ है कि एक ऐसे देश में व्यापार अवसरों का बढ़ना जिस पर आप भरोसा कर सकते हैं। उनकी यह दलील काफी हद तक सही भी है। दरअसल, कोई भी उद्यमी उसी देश में पूंजी लगाना चाहेगा जहां उसे निश्चिंत होकर कारोबार करने की आजादी और निवेश पर बेहतर रिटर्न मिले। इसी को ध्यान में रखकर मोदी सरकार तमाम आलोचनाओं के बावजूद आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ा रही है।
इस दरम्यान निवेशकों को भी अपने अनुकूल माहौल दिख रहा है। यदि ऐसा नहीं होता तो कोरोनाकाल में देश में रिकॉर्ड एफडीआई नहीं आया होता। दरअसल, देश के स्वास्थ्य, ऊर्जा, रक्षा और बीमा ऐसे कई क्षेत्र हैं जो विषम परिस्थितियों में भी तेजी से वृद्धि हासिल कर रहे हैं। इसीलिए सरकार ने रक्षा जैसे कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में एफडीआई की सीमा बढ़ाई है। यह सब भारत को वर्ष 2024 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की कवायद के तहत किया जा रहा है। यह लक्ष्य हासिल हो पाएगा या नहीं, मौजूदा परिदृश्य में कह पाना मुश्किल है लेकिन आर्थिक मोच्रे पर सरकार जो पहल कर रही है, उसको देखकर उम्मीद जरूर कर सकते हैं कि इसके सकारात्मक परिणाम जरूर निश्चित तौर पर आएंगे।
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