राहत भरी खबर
कोरोना विषाणु को लेकर पिछले कई दिनों से आ रही नकारात्मक खबरों के बीच एक अच्छी और राहत भरी बात सुनने को मिली है।
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दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि अगर आप दिल्ली के आंकड़ों को देखते हैं, तो पता चलता है कि हम कोरोना के कर्व को फ्लैट कर रहे हैं और शायद यह नीचे की तरफ जा रहा है। इसलिए संभव है कि दिल्ली में इसने अपना पीक पार कर लिया है, लेकिन अन्य शहरों में इसका पीक (चरम) आना बाकी है।
उनके बयान में सुकून की बात तो है, लेकिन कई राज्यों में हालात बिगड़ेंगे, इसे लेकर आशंका भी जताई गई है। खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, तमिलनाडु समेत कई अन्य राज्यों में स्थितियां कहीं से भी बेहतर नहीं कही जा सकती हैं। डॉ. गुलेरिया ने चेतावनी के अंदाज में यह भी कहा कि हालांकि कोरोना के चरम सीमा को पार करने का मतलब यह नहीं है कि आप अपनी सुरक्षा में किसी तरह की कमी करें। अभी भी बहुत सचेत रहने की जरूरत है।
कहने का आशय यह है कि अगर कोई सोशल डिस्टेंसिंग या मास्क पहनने में किसी तरह की कोई लापरवाही करता है तो कोरोना वायरस की लहर फिर से आ सकती है। कुछ हफ्ते पहले तक दिल्ली अच्छी स्थिति में नहीं थी, लेकिन अब ज्यादा सुधार है। चार हफ्ते पहले की तुलना में अब लोगों को बेड उपलब्ध हो रहे हैं। हां, बिहार समेत राज्यों को ज्यादा समझदारी, ईमानदारी और सख्ती के साथ आगे आना होगा। हालांकि दिल्ली में कोरोना नीचे की तरफ जा रहा है, इसे लेकर विशेषज्ञों के अलग-अलग तर्क हैं। कुछ का कहना है कि दिल्ली में कोरोना का पीक जून महीने के अंत में आ चुका है।
वहीं, कुछ का कहना है कि आने वाले समय में टेस्टिंग के हिसाब से ही पता चल सकेगा कि कोरोना का पीक आया या नहीं। वैसे निश्चित तौर पर जांच की संख्या बढ़ने से संक्रमण की चेन तोड़ने में कामयाबी मिली है। लिहाजा, इसी नीति और निर्णय पर चलने की जरूरत है। मरीज जल्द स्वस्थ हों और मृत्यु दर में कमी होगी, तभी माना जाएगा कि हालात अब नियंत्रण में आ गए हैं। कई देशों में चूंकि कोरोना ने दोबारा वापसी की है, इस नाते ज्यादा सचेत रहने की आवश्यकता है। कुल मिलाकर सभी राज्यों को दिल्ली मॉडल के मुताबिक फैसले लेने होंगे, तभी इस महामारी को हराया जा सकता है।
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