चिंता का सबब
देश में कोरोना विषाणु (कोविड-19) आहिस्ता-आहिस्ता बढ़ता ही जा रहा है। किसी दिन मामले भले कम हों, मगर कुल मिलाकर संक्रमण के मामले में तेजी ही दिखती है।
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दुनिया भर की बात करें तो अभी तक 1.57 करोड़ से ज्यादा लोग इस संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। यह वायरस करीब 6.5 लाख मरीजों की जिंदगी छीन चुका है। भारत में भी पिछले कुछ दिनों से रोजाना 40 हजार से ज्यादा नये कोरोना संक्रमित सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा रविवार सुबह जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 13,85,522 हो गई है। पिछले 24 घंटों में कोरोना के 48,661 नये मामले सामने आए हैं, जोकि भारी चिंता की बात है। इस दौरान देश में 705 कोरोना संक्रमितों की मौत भी हुई है। वहीं 8,85,577 मरीज अब तक ठीक हो चुके हैं और कुल 32,063 लोगों की मौत हुई है। रिकवरी रेट की बात करें तो यह मामूली बढ़ोतरी के बाद 63.91 प्रतिशत पर पहुंच गया है। यह लगातार चौथा दिन है जब एक दिन में 45 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। ज्यादा चिंता की बात महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, झारखंड राज्यों के लिए है, जहां मामले घटने के बजाय बढ़ते ही जा रहे हैं।
बिहार में हालात ज्यादा चिंताजनक इसलिए हैं कि वहां बाढ़ की विभीषिका और कोरोना की दोतरफा मार जनता झेल रही है। स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति भी बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, प. बंगाल में संतोषजनक नहीं है। ठीक है कि ज्यादा टेस्ट होने से ज्यादा मरीज सामने आ रहे हैं, मगर इसे पहले स्तर पर ही रोक देने की तैयारी करनी होगी। युद्धस्तर पर जांच, पहचान और इलाज करना होगा, तभी हम ये लड़ाई जीत सकते हैं। दिल्ली में हालात जून के अंतिम हफ्ते में काफी खराब थे, मगर ज्यादा टेस्ट और ज्यादा तेजी से इलाज की प्रक्रिया अपनाकर इसे काफी हद तक नियंत्रित कर लिया गया है। अब यहां 2 हजार से भी कम मामले सामने आ रहे हैं। लिहाजा बाकी राज्यों को भी ‘दिल्ली मॉडल’ अपनाना होगा। खासकर केंद्र सरकार को भी आगे आना होगा। नि:संदेह कोरोना ने देश और दुनिया को काफी चोट पहुंचाई है और जब तक इसे खत्म नहीं किया जाएगा तब तक बेपटरी हुई चीजें पटरी पर नहीं आएंगी।
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