संवेदनशीलता का तकाजा

Last Updated 03 Jul 2020 02:29:16 AM IST

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देश ने जिस लॉकडाउन का सहारा लिया था, उस दौरान प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा को लेकर खूब राजनीति हुई थी।




संवेदनशीलता का तकाजा

किसी से छिपा नहीं है कि विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को तरह-तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। एक तरफ उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि अपने कार्यस्थल पर लंबे समय तक रह सकें, तो दूसरी तरफ पेट भरने की समस्या भी थी। बाद में केंद्र सरकार द्वारा उन्हें अपने गृह राज्य पहुंचाने के लिए विशेष रेलगाड़ी चलानी पड़ी थी।

प्रवासी मजदूरों पर जब राजनीति हो रही थी, तब यही समझा जा रहा था कि इनके हितों के प्रति सभी पक्ष पर्याप्त संवेदनशील होंगे। लेकिन इनके लिए आवंटित और वितरित खाद्यान्न के आंकड़ों के अंतर पर नजर डालेंगे, तो घोर निराशा होगी। केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान का कहना है कि कई राज्यों ने बिना राशन कार्ड वाले प्रवासियों को दिए जाने वाले राशन को लेने से इनकार कर दिया है। कई राज्यों में राशन का काफी कम वितरण हुआ है।

एक आंकड़े के अनुसार मई-जून के लिए कुल आठ लाख टन आवंटित खाद्यान्न में तीन-चौथाई खाद्यान्न का राज्यों द्वारा उठाव किया गया। इसमें से करीब 1 लाख टन ही वितरित किया गया। जिन आठ करोड़ लाभग्राहियों को लेकर योजना बनाई गई थी, उनमें से करीब दो करोड़ लोगों को ही इसका लाभ मिला। कहा जा सकता है कि प्रवासी मजदूरों के आंकड़े प्रामाणिक नहीं हैं, फिर भी यहां दो बातें ध्यान देने योग्य हैं। पहली, चाहे मजदूरों का गृह राज्य हो या जहां से उनका पलायन हुआ हो, दोनों जगहों की सरकारों का कार्य-व्यवहार कमोबेश एक जैसा रहा।

दूसरी, यह स्थिति न केवल गैर-भाजपा, बल्कि भाजपा-शासित राज्यों में भी दिखाई पड़ी। यह प्रसंग अपने आप में शासन की गुणवत्ता और उसकी संवेदनशीलता पर सवाल पैदा करता है। इसलिए राजनीतिक दलों को भी केवल वोट की राजनीति से प्रेरित होकर गरीबों का सवाल नहीं उठाना चाहिए, बल्कि उनमें लोक कल्याण के प्रति पर्याप्त तत्परता भी दिखनी चाहिए। लोगों का राजनीतिक दलों और शासन से विश्वास उठने लगा, तो किसी का भला नहीं होगा। कोरोना की चुनौती अभी खत्म नहीं हुई है। देखना होगा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन का समुचित वितरण होता है या नहीं। संतोष की बात यह है कि देश में खाद्यान्न का अभाव नहीं है।



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