मुनाफा नहीं जनकल्याण
भारत में कोराना वायरस महामारी के विरुद्ध लड़ाई राजनीति की भेंट चढ़ चुकी है। पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर कई तरह के आरोप लगाए और अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक राजनीतिक दल पर बेड की कालाबाजारी करने वाले राजधानी के कुछ निजी अस्पतालों को राजनीतिक संरक्षण देने का आरोप लगाया है।
मुनाफा नहीं जनकल्याण |
हालांकि उन्होंने किसी राजनीतिक दल का नाम नहीं लिया है, इसलिए उनके आरोप को प्रमाणिक नहीं माना जाना चाहिए। लेकिन उनके इशारों को समझना कठिन नहीं है। केंद्र में भाजपा सत्तारुढ़ है।
राजधानी के सभी सांसद भाजपा के हैं, इस नाते दिल्ली की राजनीति में भाजपा और उसके नेताओं का अच्छा-खासा प्रभाव है, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। केजरीवाल ने इन निजी अस्पतालों को चेतावनी देते हुए कहा है कि इस गुमान में मत रहना कि दूसरी पार्टी में बैठा कोई आपका आका आपको बचा लेगा। अगर मुख्यमंत्री केजरीवाल के पास इस बात के पक्के सबूत हैं तो उन्हें ऐसे नेताओं के नाम उजागर भी करना चाहिए। क्योंकि इस समय पूरा देश कोरोना महामारी की विभीषिका से युद्धस्तर पर जूझ रहा है, हजारों लोगों की मौत हो चुकी है, इसलिए यह बहुत गंभीर मसला है।
और इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। लेकिन जो लोग भारतीय राजनीति को देख-समझ चुके हैं उन्हें यह पता है कि आरोप-प्रत्यारोप की राजनीतिक शैली नई नहीं है। मुख्यमंत्री केजरीवाल तो इस राजनीतिक शैली के लिए विशेष तौर पर जाने जाते हैं। अगर राजनीतिक संरक्षण के आरोप को अलग करके देखा जाए तो इस बात के पक्के सबूत हैं कि कुछ निजी अस्पताल बेड की कालाबाजारी कर रहे हैं।
ऐसे अस्पतालों के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए। इस सिलसिले में दिल्ली के एक प्रतिष्ठित सर गंगाराम अस्पताल पर दिल्ली के उप सचिव स्वास्थ्य की ओर से एफआईआर दर्ज करा दी गई है। अस्पतालों का उद्देश्य जनकल्याण है, भारी मुनाफा कमाना नहीं। इसी आधार पर सरकार की ओर से उन्हें रियायती दरों पर जमीनें उपलब्ध कराई जातीं हैं। जनसंख्या विस्फोट के कारण सरकारी अस्पतालों पर भारी दबाव रहता है। ऐसे में निजी अस्पताल गरीबों का मुफ्त इलाज करके मसीहा बन सकते हैं।
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